वैसे तो मैंने कभी कोई पुस्तक लिखी नही है पर यकीं मनो पढ़ कर मज़ा आ जाएगा।। मै तो नही जनता मै कैसा लिखता हूँ, पर मेरे मित्र-गण कहते है तुम्हारी लिखावट दिल को छू लेती है, अब इसमें सच्चाई है या नही, मालूम नहीं शायद ये भी हो सकता है की वो मेरी झूठी तारीफ़ करते हो।। पर आप-सभी पाठक गण से पता चलेगा मै कैसा लिखता हूँ।। इस पुस्तक में मैंने सिर्फ मोहब्बत भरी कविताए, नज़्म, शायरी राखी है उम्मीद है आप-सब को पसंद आएगी।। इश्क की परिभाषा मुझसे न पूछो तो बेहतर है माना मेरे इश्क के चर्चे तह तक है अरे मै तो फूलों में भी परायों सा रहा, और गुलाब, काँटों में भी अपनों सा रहता है।।