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Chapter 5 :

ले गयी

लगा अपना सा कोई गैरों के काफिले में

रहने लगा हूँ तब से नैनो के किले में

इन पलकों के पिंजरे में, बंद चिड़या सा हूँ

किसी अलमीरा में रखे बंद गुड़ीया सा हूँ

बात तेरी मुझे ग़ज़ल सी लगी और

नजरानों से तू मेरी नज़र ले गयी ।।

 

उम्र आधी ढल चुकी है, दिल अब जवान है

मेरी नज़र से देखो नशे में जहां है

ये झरने, ये पर्वत, ये धरती और खुला आसमान

पूछे मुझसे इक ही सवाल

उसकी नजरो ने किया, कैसा इशारा

तू तो भूल ही गया बताना, कैसा है नजारा

बस इतना ही मै कह पाया

उसकी सारी साजिश असर कर गयी

वो सभी नजारों से नज़र ले गयी ।।

 

मुझे कब वो अपने साथ ले गयी पता न चला

राह चलते कितनी बार मुलाकात हुई पता न चला