निगाहें चुरा कर सारे जहाँ से
देखा न करो तुम बैठी वहां से
महक उठता है तन उजड़े चमन में
ख़िल गयी जैसे कली बिखरे बसंत में
वो एहसास दिलों का, बताऊँ कैसे...!!
आती हो जब तुम, मेरी पनाहों में
उमरता है गीत कोई, मेरे मन की गांवों में
उन गीतों को शब्दों में पिरोउं कैसे
धड़कनों की बात मै, बताऊँ कैसे...!!
क़यामत सी मुस्कान, दिल में उतर गयी
वर्षों बाद मेरी धड़कन सवर गयी
जाने क्यूं मैं लिखने लगा
खुली आँखों में ही सोने लगा
जाने कहाँ वो सारे सपने गये
तेरी चाहत में हमसे दूर अपने गये
बिना तेरे तन्हाई में गुजरा हो कैसे
बताऊँ मैं कैसे, समझाऊँ मैं कैसे..।।