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ना उन्हें कुछ एहसास हुआ
ना हमें कुछ पता चला
जाने कब कम्बखत दिल
पिंजरा से निकल उड़ा
रंगीन फिज़ाओ में, ठण्डी हवाओं में
जालिम की अदाओं ने, कुछ कर दिया
मेरा पंछी बरसों बाद निकल गया
इश्क की दरिया में ये है इक मछुआ
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