खामोश रातों में जब
फिज़ाओ में रंग घूलता है
चाँद, हजारों से मिलता है
चांदनी इतराती है
सितारों में कही शर्माती है
तो मेरी रानी जाने क्यों घबराती है
घबराहट उसकी ऐसी धूम मचाती है
लाख समझाने पर समझ न पाती है ।।
सझाने को उसको गले लगाना पड़ता है
बाँहों में भर धड़कन सुनना पड़ता है