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Chapter 4 :

दिल से बातें

देखकर उसे दिल मचल उठता है

मन में कही कोई ग़ज़ल उठता है

 

इज़हार-ए-दिल बयां हो तो कैसे

कमबख्त जुबा खामोश रहता है

 

समझाया था मैंने दिल को कई बार

यूँ न हो जाया कर बेक़रार

 

जजबात, तेरे किसी को दीखते नही

और उससे मिलने पर होठ हिलते नही

 

निडर हो तू, बेखौफ धड़कता है

और जुबा उसे देखते ही डरता है

 

होठ नही तो नैन का लो सहारा

नैनो ही नैनो में दो तुम इशारा

 

नैना बोली फिर, मुझे ऐसे न आजमाओ

उस हसीं वादी में मुझे न फँसाओ

 

उसे देख कर मै खुद रुक जाती हूँ

मारे शरम के, मैं खुद झुक जाती हूँ

 

हाँथ बोला मुझसे फिर,अब लो मेरा सहारा

धड़कनों पर रख मुझे नैना से देना इशारा

 

निडर हो फिर बोल देना उस, प्यारी सी सूरत को

बाँहों में भर लेना तुम अजंता की मूरत को

 

चला न पता मुझे, हुआ ये कैसे

वो थी खड़ी सामने कोई मूरत हो जैसे

 

फिर अचानक होठ बोली, ख़ामोश थी धड़कने

हांथों ने दिया सहारा, नैनो ने भी किया इशारा

 

हँस पड़ी वो सुनकर मेरी सारी कहानी

बनी कुछ इस तरह मेरी भी कहानी ।।