सिन्ध की हर बेटी को, ये सम्मान दिला देना
रहे हमेशा पवन यूँ ही, ये अधिकार दिला देना
त्रेता में जैसी सरयू थी, पावन और प्रतिष्ठित
कलयुग की इस गंगा को, स्वच्छता का वरदान दिला देना
सिन्ध की हर बेटी को, ये सम्मान दिला देना
द्वापर की हो राधा जैसी, चंचलता से सधी हुई
मीरा, जैसी हो आभा इनकी, भक्ति-भाव से बंधी हुई
आचरण हो ऐसा इनका, की कान्हा भी शरमाए
मन का न जाग सके, इतना अभिमान दिला देना
सिन्ध की हर बेटी को, ये अधिकार दिला देना