मुझसे इश्क की परिभाषा न पूछो तो बेहतर है
माना मेरे इश्क के किस्से तह तक है
अरे मैं तो अपनों में भी परायों सा रहा
उसने आते ही सबको अपना बना लिया।।
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हो "गर" इश्क तो ऐतबार होना चाहिए
धड़कन पे उसकी इख्त्यार होना चाहिए
देखी है हमने इतनी तस्वीरें आपकी
अब मेरे दिल पर इस्त्यार होना चाहिए ।।
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चाहतों के अश्यां में तेरा ही बसेरा हो
काली रात के बाद उम्मीदों का सवेरा हो
हो जाये मशहूर हमारे किस्से
शशांक का हो मिलन किरण से
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जाने कब से दुनिया से छिपाए बैठे है
तेरी मोहब्बत का अरमा जगाये बैठे है
खाब तो आते है रोज इन पलकों में
मिलन का सपना सजाये बैठे है ।।
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भेजा तो था फरमान अपने करार का
न पता था हो जायेगा अंत यूँ, मेरे ऐतबार का
बेशक की थी वफाई तुमसे
ना पता था फरमान यूँ राह में जल जायेगा ।।
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इस मुर्दे से फिर, वो हाल ले गयी
जाते-जाते भी, वही मुस्कान दे गयी
फेरी निगाहें जालिम ने ऐसे
फिर वही तीर लगा हो जैसे
बच न सका था मै पहली बार
फिर वही हुआ, जालिम मेरे साथ ।।
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न सोचा था उनसे यूँ मुलाकात होगी
लबों से लबों की बात होगी
इश्क करने वालों पर बिगड़ते रहे उम्र भर
ना जाना था इश्क में इतनी हसीं रात होगी ।।
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यादों की पतवार लिए
तन्हाई को सवार किए
उतर तो आया मैं गहरे पानी में
उस मुस्कान पर ऐतबार किए ।।