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Chapter 9 :

चाँद की मोहब्बत

नशे में चूर चाँद ने ऐलान किया है

हाँ, मैंने खुद को किसी के नाम किया है

 

आती है रोज़ कही दूर कबीले से

मै भी निकल आता हूँ अपने काफिले से

 

हर रोज़ मुझे निहारा करती है

मुझे आयना बना, खुद को सवारा करती है

 

उम्र आधी ढल चुकी है, दिल अब जवान है

मेरी नज़र से देखो नशे में जहां है

 

उसकी नजरो ने किया, कैसा इशारा

मै तो भूल गया हर इक नज़ारा

 

उसकी सारी साजिश असर कर गयी

वो सभी से मेरी नज़र ले गयी ।।

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दूर से तकता रहता उसे रातों में

मैं उलझा रहा उसकी अनकही बातों में

 

वो मुझे, मेरी दीवानी सी लगती है

उसकी रूह मुझे पहचानी सी लगती है

 

देखा होगा उसने शायद,मेरा एकाकी पन

सितारों के बीच, चाँद का खली-पन

 

मै उसके इश्क में डूब-कर लिखने लगा

सारी-सारी रात मै जगने लगा

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सोचा मैंने आज उसे गज़ल सुनाऊंगा

दिल में जो हालत है वो बताऊंगा

 

मैंने अपने ग़ज़ल उसके नाम सुनाया

उसने मुझे अपनी शादी का फ़रमान सुनाया

 

जाते-जाते दिलरुबा इनाम दे गयी

शादी में आने का पैगाम दे गयी

 

उसकी याद में मैं अंधेरों में खो गया

उसकी शादी वाले दिन मैं नशे में सो गया

 

आमस की वो बेहद अंधयारी रात थी

आँगन में उसकी किसी और की बारात थी

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