Poetry यह किताब हैरान-परेशान लोगों के इर्द-गिर्द घूमती, अंधेरे में, रास्ता दिखाती हुई, समाज की गंदगी को, दर्पण दिखाकर, कड़वा घूंट पिलाती है! जीवंत किरदारों में दर्द के साथ, गर्व छुपा हुआ है, औरत की तड़प, वेदना, शोषण का सटीक समाधन है, बिगड़े लोगों को सुधर कर, संसार में प्रेम और शांति की स्थापना करना चाहती है। मुख्य पृष्ठ पर, आदमी-औरत ने, आत्मज्ञान को पाया, अंदर कण-कण में समाया है, रेशमा, रेशु, पीहू, शर्मीली, कामिनी, रमेश की बीवी, रमेश, भोला इत्यादि की उलझी कहानियाँ खुद को, सुलझाकर, गीता ज्ञान कराते हुए, जीवन जीना सिखाती हैं, कोरोना से आत्मज्ञान कराती है!
यह किताब मेंने भावनात्मक कविताओं और कलात्मक रेखांकन पसंद करने वाले
पाठकों/ दर्शकों के लिए लिखी है जो कविताओं में
यथार्थ देखना पसंद करते है |
जिन पाठकों को कविता/ रेखांकन में रहस्यमयी लघुकथाओं की तल़ाश हैं
यह किताब उनके लिए एक यात्रा वृतान्त के समान, रोचक और मनोरम है |
- रौनक
यह तो मेरी भावनाओं की अभिव्यक्ति मात्र हैं
लेकिन इन स्वतंत्र भावनाओं में समाज का हर रस समाया हुआ है
जो समय-समय पर कविता के रूप में प्रकट होते रहता है जिससे मुझे संतोष की प्राप्ति होती है |
इन कविताओ और रेखांकन ने मुझे आत्मज्ञान और आत्मबल प्रदान किया है
और अब मैं इस सुखमयी-ठंडक से परिपूर्ण किताब को
विश्व शांति हेतु समर्पित करने जा रहा हूँ |
मुझे पता है कि सारी दुनियाँ इस वक्त
कोरोना महामारी से जूझ रही हैं और ऐसे कठिन वक्त में
यह किताब,
सबको आत्ममंथन करने का मौका देकर सत्य के साक्षात्कार करा आत्मज्ञान से आत्मबल दे !
ऐसी कामना करते हुए,
हजारों मंगलकामनाओं सहित इस किताब को आपके समक्ष प्रस्तुत करने जा रहा हूँ !
आशा है आपको बहुत पसंद आयेगी |
- रौनक