Autho Publication
x9jTJMMYLv33PChbOX7-hXd26ZPzmpLg.jpg
Author's Image

Pre-order Price

.00

Includes

Author's ImagePaperback Copy

Author's ImageShipping

BUY

Chapter 4 :

जिंदगी का जंगला

                जिंदगी का जंगला

कामिनी ने, प्रेम-विवाह किया था,तब जुनूनी, वक्त था,
पति भी, फौलाद की औलाद था और अंदरूनी, सख्त था,
शक्ल-सूरत से तो, चिंपांजी था, फिर भी, लड़कियों में, नामचीन था,
तंबाकू, गुटके, शराब, कबाब के साथ, शबाब का भी, बड़ा, शौकीन 
था,
शुरू-शुरू में, हैवान का उतावला पन, कामिनी को, बहुत पसंद 
आता था,
जालिम भी, पहाड़ चढ़कर, उतरता ही नहीं था, 
बहुत पसीना बहाता था,
चोटियों को फोड़ देता, नदियों को मोड़ देता, बांधों को, तोड़ देता था,
एक बार, शुरू होता, तो दम नहीं लेता, सारे कीर्तिमान, तोड़ देता था,
वह तो जैसा था, आज भी, वैसा ही है पर परिस्थिति बदल गई,
नौकरी लगते ही, कामिनी, कमीनी-सी होकर, थोड़ी-सी बदल गई,
अंदरूनी, सुंदरता को भूलकर, बाहरी, दिखावटी दुनिया में, खो-सी गई,
दूसरों की, बातों में आकर, समाज में, सामाजिक होकर, 
जकड़-सी गई,
दाल-रोटी में, घर में, मस्त-मजा आ रहा था, पर बाहर जाकर, 
नौकरी कर ली,
हजारों किलोमीटर दूर, नियुक्ति स्वीकार कर, घर उजाड़कर 
ऐसी-तैसी कर ली,
पति ने साथ निभाया, अरमानों को भी, नहीं छोड़ा पर, उसके 
महबूब ने, व्यस्तता को प्राथमिकता दी,

Comments...