मौजी लॉकडाउन
रमेश की, नई-नई शादी हुई थी, बीवी बहुत, सुंदर मिली थी,
कुछ ही दिनों में, वह, बीवी को, साथ ले आया,लाने की जल्दी थी,
उन सब की, जल गई थी, जिनकी शादी, नहीं हुई थी,
पर उम्र हो गई थी,
और, उनकी भी, जिनकी बीवी, गांव में रहती थी,
रूढि़वादी, बूढ़ी हो गई थी,
दरअसल, रमेश की, सरकारी नौकरी थी, छोटे शहर में,
नियुक्ति थी और यही बात तो, खास थी,
सरकारी आवास में, निवास करता था, बड़े शहर की पैदाइश थी,
खुले दिमाग का था, बीवी बिंदास थी,
सब, अपने-अपने काम में, व्यस्त रहते थे, पक जाते थे,
फुर्सत कहां थी, जलने-भूलने की, दफ्रतर में ही, भुँज जाते थे,
दिन भर तो, कार्यालय में, निकल जाता था, रात में,
आराम फरमाते थे,
ताकत ही, कहां रहती थी, सोचने-समझने की, साबुन की तरह,
घुर जाते थे,
पर, कभी-कभी, रमेश की खिंचाई, कर ही लेते थे,
दिल बहलाने को, मजे ले लिया, करते थे,
कोशिश करते थे, कुछ पूछने की, कुछ बताने की, खुद को,
अनुभवी, सिद्ध करते रहते थे,
मजा तो, बहुत आता था, मजे ले लेकर,
चुटकियाँ-ठिठोलियां, करने में,