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Chapter 2 :

Poem 2

आत्मनिर्भर बनेगा भारत !   


उठो प्यारे देशवाशियों
कुछ करके दिखाओ मेरे साथियों 
आज आया है वक्त परीक्षा का 
कुछ न करना उच्चस्तर है नीचता का 
देश मर रहा है इस आ़लस के कारण
छोड़ दो झूठी श़ान में विदेशी कंपनियों की श़रण 
स्वदेशी अपनाना है, देश को बचाना हैं
पुराना स़बकुछ भूलाकर, देश को दौड़ाना है !

एक विदेशी कंपनी हाथ जोड़े आयी थी
आ़स्तीन के साँप की भाँति ऩानी याद दिलायी थी
क्या-क्या नहीं लूटा था उसने क्या बतायें हम 
दर्द को आँच बनाकर खुद को पका रहे हैं हम 
अ़त्याचार इतने किये कि लड़ मरने की खा ली थी कस़म
लाशों के ढे़र लग गए थे, फाँसियों पर झूल गए थे हम
इतिहास से सबक लेकर स्वदेशी को अपनाना है, देश को ब़चाना हैं 
द़र्द और ज़ख्मों को भुलाकर, देश को दौड़ाना है !

भारतमाता जब भी हमको विदेशी कपड़ों में देखती हैं
दम घुट जाता है बेचारी अपनी प़रवरिश को ही कोसती हैं
ऐसा क्या स्वाद है फास्ट फूड में जो माँ की रोटी में नहीं
माँ की रोटी की महिमा ज़ग गाता है पर पहचानता नहीं 
यह अटल सत्य है कि हमने ज़ानबूझकर अन्ज़ानों जैसा काम किया
चन्द, चमक-धमक चमड़ी की ख़ातिर माँ की महिमा का अपमान किया
भारतमाता की ख़ातिर स्वदेशी को अपनाना है, देश को बचाना है
मक्कारी छोड़कर अब तो, देश को दौड़ाना है !

बापू ने भी य़ाद दिलाया था पर भूल गए 
खाँदी-खाँदी चिल्लाते रहे वर्षो फिर कोट-पेंट में स्कूल गए
विदेशी शिक्षा की गुलामी ने चमड़ी का रंग बदल दिया
विदेशी-पट्टे वाले देशी कुत्ते ने देश को ग़ुलाम कर दिया 
फिर से देश ने हमें कोरोना काल में पुकारा हैं
पूरी दुनियाँ पस्त है, आम आदमी हिम्मत हारा है
कोरोना को हराना है स्वदेशी अपनाना हैं, देश को बचाना है
मसीहा बनकर, सबकी सहायता के लिए, देश को दौड़ाना है !
 
माना कि हम गुलाम थे, अपने मतभेदों के कारण 
माना अंजान थे, मोह-माया निज़स्वार्थो के कारण 
कुछ ख़ास नहीं कर पाये इतिहास दबा दिये जाने के कारण 
फिर भी ज़िदा रहे, मौके की तलाश में भविष्य की योजनाओं के कारण 
आज कोरोना ने छेड़ दिया है लोकडाउन, आर्थिक मंदी केे कारण 
आत्मनिर्भर बनेगा भारत, रोटियों में आयी भयानक कमी के कारण 
आत्मनिर्भरता के लिए स्वदेशी आन्दोलन लाना है, देश को बचाना है
महात्माओं की तरह विश्व शांति हेतु, देश को दौड़ाना है !
 
- रौनक

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