ऐ कोरोना !
घर बैठे-बैठेे इ़तना ज़रूर सोचना
तुम कौन हो और क्यों हो
बदली छँटेगी साथ में बीमारी कोरोना
फिर से जी लेना ज़िंदगी, ज़िन्दादिल रहो
निकलेगा ये बुरा वक्त, मत कर रोना-धोना
छोड़ दे शोक मनाना, कर ना हाय-हाय हो-हो !
क्यों ज़रूरी है सबकुछ जीतना
त्याग कर, तेरी जय हो
शर्म कर, बहुत हुआ फ़ालतू भ़ौकना
शांति पकड़, थोडा़-सा तो भयभीत रहो
ये कोरोना का क़हर है, जरूरी है ज़ान-ज़हान को बचाना
प्रयास कर, योग कर, श़़ाकाहार से स्वस्थ बने रहो !
ऐसे सत्कर्म, सद्भावना से ज़रूर करना
ज़िससे मरने के ब़ाद अम़र रहो
मेरी शुभकामनाएँ, दिल से स्वीकार करना
घर में रहो, सुरक्षित रहो !
- रौनक