डूबता हुआ सूरज डूबेगा तो चांद फ़िर देखेंगे ।
कैदे गम से फुरसत मिली तो फिर कुछ सोचेंगे ।।
चिंगारी ऐसी भड़की की खाक में सब कुछ मिला गई ।
बची है कुछ राख तो उसमें अब क्या ढूंढेंगे ।।
यकनीन बेवफा पे यकीन करना भूल थी ।
उस भूल की सज़ा हर सांस पे महसूस करेंगे ।।
दयार-ए-इश्क़ (प्यार की शुरुआत) का मज़ा अब खूब ले लिए ।
अब ज़रा गर्दिशे अय्याम (काल चक्र) के हाथों लूटेंगे ।।
गमज़दा है रोम-रोम आसुंओ का सिर्फ साथ है ।
चलो रोते-रोते अपने सारे पाप आज धोएंगे ।।
अब कोई एतबार नहीं, कोई इंतज़ार नहीं ।
ज़िंदगी का सफ़र अकेले ही तय करेंगे ।
बुत को खुदा मानकर इबादत की थी ।
बुत तो न बदला अब खुदा किसको कंहेगे ।।