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Chapter 1 :

ज़िंदगी

उफ़क़ से उठा कर हम एक तारा लाएं हैँ

देखो ज़िन्दगी तुम्हें मौत के हांथों से हम बचा लाएं हैं ।।

 

सालाह - साल कफ़स में रखा था दिले नादां को

आज उसकी बेड़ियाँ खोल कर उसे आज़ाद कर आएं हैं ।।

 

आंसू दिखाओ दुनिया को तो वो और रुलायेगी

हम खुश हैं, अभी-अभी ये ऐलान कर आएं हैं ।।

 

तुम कहते हो रिश्तों को बांधना मुश्किल है

हमने वो गिरह दी है, जो फ़रिश्ते भी नहीं खोल पाएं हैं ।।

 

किसी को तन्हा छोड़ो, ये बात ठीक नहीं है

हम उस तन्हाई को पैरों तले रौंद आएँ हैं ।।

 

तंगी-ए-वक्त का क्या खूब बहाना बनाया है तुमने

हम ऐसे मतलबपरस्त दोस्तों से दुश्मनी कर आएं हैं।।

 

नौ खेज़ है मेरे लिए इस दुनिया की होशियारी

शायद इसीलिए वक्त के साथ हम नहीं चल पाएं हैं।।

 

सबाब मिलता है, गर ख़ुदा के दर पे जाओ

हम तो ख़ुदा से ख़ुदा को ही मांग लाएं हैं।।