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Chapter 4 :

ज़कात

यादें उसकी आज काफी गहरी हो गयी हैं ख्वाबों में आज उससे एक मुलाकात करनी है मुझे, इन कांपते लबों से ही सही पर आज उससे कुछ बात करनी है मुझे, फिर से करनी है आज कोशिश उसे मानाने की उस अल्हड़ से रिश्ते की फिर से शुरुआत करनी है मुझे, फिर से हंसना है संग उसके  बैठे बैठ उस संग रात करनी है मुझे, और अब शायद ही वो मुझको हासिल हो कभी 'सुयश' लगता है जिंदगी भर की कमाई ज़कात करनी है मुझे...