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Chapter 3 :

नींद में खलल

उसे भूलने की सारी कोशिशें बेकार हो गयीं यादें उसकी मेरे अंदर अब घर कर रहीं हैं, देखो इस सर्द भरे मौसम में मुझको कैसे पसीने से तरबतर कर रहीं हैं, उसकी दी हुयी घडी भी आज गिर कर टूट गयी उसके कभी न वापस आने की मुझको ये कैसे खबर कर रही है, नींद में मेरी आज-कल बड़ा खलल सा हो गया है उससे ये दूरियां मुझ पर कितना असर कर रहीं हैं, और बाहर से तो मैं तुमको खुश मिज़ाज़ सा ही नज़र आऊंगा 'सुयश' पर अंदर ही अंदर अब मेरी खुशियां मर रहीं हैं....