Autho Publication
l69Eph4BIqW4RejQ7OSRV2RheB9iI84O.jpg
Author's Image

by

Anubha Prasad

View Profile

Pre-order Price

199.00

Includes

Author's ImagePaperback Copy

Author's ImageShipping

BUY

Chapter 2 :

इक आग का दरिया है ....... इश्क़ विश्क़

ग़ज़ल


अपने ही हाल की मुझे कोई ख़बर नहीं
लगता है के इस रात की कोई सहर नहीं

देता है सिला बारहाँ सब्र और इंतज़ार
ख़याल तो दुरुस्त है, पर पुरअसर नहीं

क़िस्मत में है अगर तो आ जाएगा लौट कर
वो है यक़ीं तेरा, मेरा नुक़्तए-नज़र नहीं

सदियों की तरह लगती है आँखों में जब कटे
शबे ग़म हुआ करती है कभी मुख़्तसर नहीं

पाकर भी उसे रह गया अहसास सफ़र का
लगता नहीं मक़ाम है ये, रहगुज़र नहीं

बढ़ता ही गया मर्ज़ दवा जब भी की उसने
वो ख़ुद वजह-ए-मर्ज़ था, कोई चाराग़र नहीं

Comments...