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Chapter 4 :

नारी

तू माया जादू है तेरी काया इस जहां में सुख पाया जो तुझे पाया तू आशा तू अभिलाषा तू ही सहारा तू अद्भुत खेल है यह जहां है तमाशा तुझको पाया तो भरपूर है सब पाया तू नहीं तो जीवन बेकार है क्या पाया तू हसीना तू करीना तू ही नगीना तू मंदिर मस्जिद चर्च मक्का मदीना शरीर पूर्ण करें रूह को तृप्त कर दे तू कृपा करें तो मोक्ष दे मुक्त कर दे तू नशा तू मजा तू मस्त मलंग करें तू सुलाती तू जगाती सांस में जीवन भरे तू प्रेम तू वासना तू आकर्षण सौंदर्य है तू आवारा पागल दीवाना का आश्चर्य है क्या करूं जो तुझे पाकर शांति पालूं क्या करूं तुझमें डूब कर खुद को जगा लूं तू प्यास तू अरमान जोश आशा जगाती तू जीने की वजह तू ही जीना सिखाती