सुनो कैसे चित्र और जीवन साथ साथ चलते तीन चित्र जो 13 साल पहले 30 थे आज तक नहीं बने थे 17 साल पहले उनका जन्म हुआ दो-तीन साल तक बने बिगड़े संभले कुछ समूह तो एक एकल शो हुआ जीवन के उतार-चढ़ाव के साथ-साथ उतार में बिगड़े पुते नौचे खरोचे गए चढ़ाव आए तो पुनः सुधार आ गया सज गए फिर पुनः हताशा निराशा में मिटाया जाता समय सुधरने पर उत्साह में सजाया जाता पर पांचवे साल तो कांड ही हो गया गम ज्यादा था चित्रों को जलाया फाड़ा गया दुख में आत्मा के साथ चित्र कई दफा जले पर इतने ज्यादा नहीं जले कि उनको पहचाना ना जा सके हताशा के पागलपन में भी चित्रों को हर बार बचाया गया नोचा खरोचा फटे भी चित्र पर चीरा फाड़ा नहीं गया पर पांचवे साल में तो चिथड़े चिथड़े उड़ गए चित्रों के कांड बड़ा था आघात असहनीय था आत्मा के थे वह टुकड़े