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Chapter 1 :

हम नहीं सुधरेंगे

हमारे बाप दादा मम्मी नानी चाचा चाची ताऊ मरे हमारे भाई बहन जीजा साली दोस्त यार भी मरे यहां तक कि हमारे बच्चे नाती पोते मासूम भी मरे मरे तो अनगिनत पड़ोसी से लेकर अनजान भी मरे कोरोना महामारी की चपेट में जो आया सो मरा जो नहीं मरा वह मौत के खौफ में जिया इतना डरा हमने दिन में हजारों बार हाथ धोए पल-पल धोए घर से बाहर नहीं निकले निकले तो मास्क लगाए सामान धोया कपड़े लगातार बदले बार-बार नहाए शारीरिक दूरी बनाए संक्रमण तोड़ा रिकॉर्ड बनाए आयुर्वेद योगा दवाई दारू टीका सब आजमाया पर समय से पहले कोरोना से छुटकारा नहीं पाया पर जब कोरोना चला गया तब पुनः लापरवाह हुए वैसे तो कोरोना की नाक के नीचे भी कई अपराध हुए बलात्कार खून लूटपाट भ्रष्टाचार बदस्तूर चलते रहे पर कोरोना के पश्चात तो इंसान पहले से ज्यादा घटिया हुए साइबर क्राइम बड़ा लूटने की अंधी दौड़ शुरू हुई हाय तोबा आर्थिक मंदी के बीच युद्ध की शुरुआत भी हुई