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Chapter 3 :

संभोग से संन्यास

बाबा जी भगवान के अवतार माने जाते थे उनके करोड़ों भक्त उन्हें दिन-रात पूजते थे नेताजी उद्योगपति आम आदमी आशीर्वाद लेते थे बाबाजी की कमाई अरबों में थी महलों में रहते थे पैर जमीन पर नहीं रखते थे भक्त सर आंखों पर रखते थे सन्यासी बाबा सदाचार ब्रह्मचर्य का पाठ पढ़ाते थे एक दिन पता चला कि बाबा जी तो ठरकी निकले उनके आश्रम में छापा पड़ा तो गंदे पाप बाहर निकले बाबा रोज कुमारी का शीलभंग का शौकीन था बाबा का तो सारा इतिहास ही भारी रंगीन था पर सारे बाबा ऐसे नहीं होते कुछ ही हरामि होते हैं इन कुछ लुच्चे बाबाओं से सभी बदनाम होते हैं तीन कारणों से बाबा ने जघन्य अपराध किए पैसों की शक्ति के नशे में बाबा के घमंड ने जुर्म किए वासना ने चुल्ल मचाई तो बाबा का संन्यास टूटा ठरक आदत से लत बनी तो बाबा अतीला हुआ घमंड वासना और अति बाबा को ले डूबी मान सम्मान प्रतिष्ठा गई अवतारी आभा भी छूटी