बरस ही तो रहा है
बरसों से
मगर
बारिश का पानी
सीधे-सीधे
कभी पीने के काम नहीं आया !
जब पहाड़ों के भीतर की यात्रा हुई
मिट्टी के भीतर से गुजरना हुआ
अंतरतम की ध्वनि को जाना
तब किसी स्रोत से फूटा
बारिश का पानी
पीने योग्य बना
अंतस की यात्रा जरूरी है
यदि परिष्कृत होना है तो !