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त्रिभुवन सिंह बिष्ट अल्मोड़ा (उत्तराखंड) जिले के एक छोटे से कस्बे बग्वालीपोखर से आते हैं। विद्यालयी शिक्षा बग्वालीपोखर में ही हुई। दिल्ली में आकर बैचलर ऑफ़ साइंस और फिर मास्टर ऑफ़ कंप्यूटर एप्लीकेशन की शिक्षा ग्रहण की। कॉर्पोरेट दुनिया में काम करने के बावजूद साहित्य और रचना का संसार आपसे अनछुआ नहीं है। सोशल एंटरप्रेनुएरशिप के तहत "पोखरम" की स्थापना की, जिसके तहत शैक्षणिक कार्यक्रम के साथ-साथ संस्कृति पर भी काम हो रहा है। समय-समय पर आयोजित होने वाले सामाजिक एवं सांस्कृतिक कार्यक्रमों में सक्रिय भागीदारी द्वारा अपनी विरासत और परंपरा को जिन्दा रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। पहला काव्य संग्रह जाने वो पलछिन 2017 में प्रकाशित।