Autho Publication
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Anzar Alam

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Chapter 2 :

मैं जानता हूँ मैं उतना क़ाबिल नहीं हूँ

मैं जानता हूँ मैं उतना क़ाबिल नहीं हूँ, तो क्या हुआ मैं उतना गाफ़िल भी नहीं हूँ। मस्तूर हो चला था मैं दुनिया से, ख़ुद को ढूँढ रहा हूँ, लेकिन अभी मिला नहीं हूँ। चाँद को ला कर रख दूँ मैं पास तेरे, लेकिन सितारे कह रहे है अभी इजाज़त दिया नहीं हूँ। तिश्नगी-ए-जमी सदाऐ दे रही हैं आसमाँ से, और बादल कह रहा हैं अभी लबालब भरा नहीं हूँ। कुछ मजबूरियाँ और तन्हाईया भी है ज़माने में, कैसे हार मान लू अभी मैं मरा नहीं हूँ।

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