हेलो ,मैं वेदांत। और मैं भी एक दोहरी जिंदगी जी रहा हूँ आप सब लोगो की ही तरह। जिंदगी की पहली परत जो हर तरह की जिम्मेदारियों को साथ लेकर आगे अपने रास्ते पर बढ़ती ही जा रही है और दूसरी परत जो ख़ामोशी और इत्मीनान के साथ अपनी ही जगह पर रुकी हुई है। पर क्या ,जब यह दोनों जिंदगियां आपस में टकरा जाती है और जब फिर से संभलती है तो आपसे आपकी सबसे प्यारी आदत ले जाती है। मेरे साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ है। आज "मेरी दो कप चाय ..........परफेक्ट वाली" मुझसे छूट गयी !!!!!!!!!!!!