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मैं ही हूँ ओस की बूँद सौम्य, सुन्दर दूर से चमकती दिख जाती हूँ खुद को एकदम तन्हा पाती हूँ बस तेरे स्पर्श की देरी और मिट गया मेरा वजूद मैं एक छोटी सी बूँद |
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