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मशला तकिये का हो,
या फिर हो सपनों का,
बिस्तर की सिलवटें सुबह तक,
सब कुछ बयाँ कर देती हैं।
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तकिये और सिसकियों की जुगलबंदी तो देखिए,
दोनों ही साथ होती है कुछ खो जाने के बाद।
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