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|| 1 ||
चलो चलते हैं,
बेशक़ वो हमे मिल ही जाएगी,
सुना हैं किसी ने,
काफ़िरो का जश्न-ए-शाम रखा हैं।
|| 2 ||
हम काफिर ही सही, पर सिद्दत है हमारी वफाओं में ।
यूँ झरोखों से सजदा, कोई और न कर पायेगा ।।
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