आमुख इंसान का जीवन चक्र कर्मों के चारों ओर घूमता है। कर्म फल दो प्रकार के होते हैं एक तो जन्म से ही हमारे साथ आते हैं और दूसरा हमारे वर्तमान में किए गए कार्यों द्वारा कमाए जाते हैं। एक आध्यात्मिक और नैतिक वातावरण ही सद्गुणों को मजबूत करता है। कई कारक है जिन से इंसान विकसित होता है नेक सलाह, निक सोच, मेक संगत जैसी विशेषताएं इंसान के चरित्र को दर्शाती है। सकारात्मक सोच ही इंसान को विपरीत स्थितियों का सामना करने में दृढ़ बनाती है। यह मनोवृति (मन और चरित्र के विशेष गुण) ही लालच पन को निस्वार्थ सेवा तथा त्याग में बदल देती है। इस पुस्तक में हमने प्रमाण सहित ईश्वर के द्वारा बनाए गए 2 नियमों का जिक्र किया है। जो हमें इस पृथ्वी पर शुभ जीवन व्यतीत करते हुए मोक्ष की तरफ ले जाते हैं। हम चाहे जितनी भी अच्छी किताबें पढ़ ले कितने भी अच्छे शब्द सुन लें, मगर जब तक हम ही उन्हें अपने जीवन में नहीं अपनाते, तब तक उनका कोई लाभ नहीं होगा। हमने इस पुस्तक को सरल भाषा में लिखा है ताकि परिवार का हर सदस्य इसे पढ़ पाए और इसमें बताई गई बातों को अपने जीवन में अपनाएं और सुखी जीवन व्यतीत कर सके।