परिचय इस पुस्तक का निर्माण ईश्वर की आज्ञा से ईश्वर के उपदेश अनुसार किया गया है।वर्तमान समय में जब पूरे संसार में हाहाकार मचा हुआ है। सारा संसार दुख अशांति तथा महामारी की भीषण ज्वाला में जल रहा है। जगत में कोने कोने में मारकाट मची हुई है,प्रतिदिन हजारों मनुष्यों का संहार हो रहा है।विज्ञान की सारी शक्ति पृथ्वी को शमशान के रूप में बदलने में लगी हुई है। संसार के बड़े से बड़े मस्तिष्क पृथ्वी के संहार के नये-नए संसाधनों को ढूँढ निकालने में लगे हुए है।जगत में सुख शांति तथा प्रेम का प्रसार करने तथा ईश्वर की कृपा का अनुभव करने के लिए इस पुस्तक में बताए गए ईश्वर के नियमों को समझना अति आवश्यक है। यह पुस्तक किसी भी धर्म से वास्ता नहीं रखती है। यह पुस्तक केवल पृथ्वी पर सुखी जीवन व्यतीत करने तथा ईश्वर के उपदेश को समझने का रास्ता बताती है। यह पुस्तक हमें आध्यात्मिक तथा बुद्धि विषयक विचारों की सच्चाई की इंसान द्वारा की गई खोज की जानकारी देती है। यह हमें ईश्वर द्वारा की गई सृष्टि की रचना तथा मकसद के बारे में अवगत कराती है तथा ईश्वर द्वारा मनुष्य को धरती पर बसाने के उद्देश्य को समझाती है। इसमें समझाया गया है, कि इंसान से उसके वर्तमान जीवन में क्या क्या अपेक्षा की गई है और मृत्यु के बाद उसे किन किन समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।इस पुस्तक का मुख्य मकसद इंसान को आइना दिखाना है कि कैसे उसका वर्तमान जीवन उसके अगले आने वाले जीवन पर प्रभाव डालेगा। कृपया इस पुस्तक को धीमे से ध्यान से कई बार पड़े इसमें बताई गई सारी बातों को ध्यान से समझे और अपने वर्तमान जीवन काल में अपनाएं। इंसान को किसी भी प्रकार से इस धरती को दूषित करने का कोई हक नहीं है और ना ही किसी भी पृथ्वी जीव को बेवजह नुकसान पहुंचाने का कोई हक है अगर कोई ऐसा करता है तो वह ईश्वर द्वारा दुखद सजा का हकदार है। इंसानों को बताया तथा पथभ्रष्ट किया जाता रहा है इंसान के दिमाग को गहरे रूढ़िवादी विचारों से भरा जाता रहा है।इस पुस्तक में परिणाम सहित उच्च स्तरीय वैज्ञानिक आध्यात्मिक पद्धति द्वारा ईश्वर को प्राप्त करने का रास्ता बताया गया है। जिसमें धर्म और जात जैसी कोई बाधा नहीं है।इस पुस्तक में ईश्वर के द्वारा संगीत दिए गए अनुभवों की व्याख्या की गई है हम आज अपने द्वारा बनाए गए रीतिरिवाजों में अपना जीवन व्यतीत कर रहे है। । हमें उस ईश्वर को और अपने अपने द्वारा बताए गए धर्म के अनुसार अपने अपने ईश्वर की प्रार्थना करते है। किन्तु हमें यह समझना होगा कि ईश्वर कहीं और है और कोई और है जो की न जाने ऐसी कितनी धरतियों का रचइता है । जिसने ही समस्त जीवो को पैदा किया और एक समान दर्जा दिया। हमें इस पुस्तक में समझाएं गए दोनों नियमों को एक पैदा हुए बच्चे के समान सोचना होगा जिसका मन विचार हीन होता है और वह स्वतंत्रता से सब कुछ समझता है। हम एक अंदाज लगाएं कि यदि समस्त पृथ्वी जीव एक ही धर्म और ईश्वर को मानते और उसी के निर्देशानुसार अपना जीवन यापन करते तो हमारी पृथ्वी कैसी होती और हमारा एक दूसरे के प्रति कैसा व्यवहार होता बस यही हमें समझना है और अपने जीवन में अपनाना है। हमें एक ऐसे युग का निर्माण करना है। जहां कभी किसी तरह का ना झगड़ा हो ना लड़ाई हो ना कोई किसी से किसी चीज में तुलना करें नाही भ्रष्टाचार हो और सब की मृत्यु उनकी पूरी पृथ्वी पर उम्र बिता कर हो।ईश्वर ने मानव जाति को सबसे श्रेष्ठ जाति का दर्जा दिया है। हम आसानी से सही और गलत की तुलना कर पाते हैं हमें बस सही को चुनना है और गलत को दूर करना है हमारा जीवन बदलना शुरू हो जाएगा धन्यवाद