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हर शाम की तरह, मैं आज भी अपने झोले में तरकारियाँ ले जा रहा था की तभी एक सादगी सी लगी इन निगाहों को..!! एक सुर्ख स्वेत रंगाभूत हो मेरे सामने आ खड़ा हुआ