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Chapter 2 :

मेरी सखी मेरी सहेली...

माँ तु सब कुछ है मेरी,तु सब कुछ है मेरी... मेरी सखी तु,मेरी सहेली...दूनिया है मेरी। माँ तु सब कुछ है मेरी, तु सब कुछ है मेरी... मेरे बचपन की वो पहली साथी,मँया है मेरी। माँ तु सब कुछ है मेरी, तु सब कुछ है मेरी... दूखने लगी हैं आँखें तेरी माँ, कर कर चिंता मेरी... माँ तु सब कुछ है मेरी, तु सब कुछ है मेरी। तु मेरा मंदिर,मेरा गिरजा,दरगाह है मेरी... माँ तु सब कुछ है मेरी, तु सब कुछ है मेरी। तु ही रब्ब है,मेरी माँ मेरा मौला है तु ही... माँ तु सब कुछ है मेरी तु सब कुछ है मेरी। आंसू मेरे देख कर माँ, साथ में तु यूं रोती है। मेरी गलती पे जब डाँटें मुझको, तेरी आँखें नम सी होती हैं। मुझसे चाहे लाख छुपा माँ, तु भी लुक छिप है रोती... माँ तु सब कुछ है मेरी... तु सब कुत है मेरी। कैसे कहूं माँ ?तुझसे तेरे बिना मेरा दिन ही नही होता... रात में भी माँ लोरियाँ तेरी, याद कर कर हूं सोता। तु ही दूनिया है मेरी, मेरा सूरज चाँद तु ही... माँ तु सब कुछ है मेरी, तु सब कुछ है मेरी।