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Chapter 3 :
शेर
हो "गर" इश्क तो ऐतबार होना चाहिए
धड़कन पे उसकी इख्त्यार होना चाहिए
देखी है हमने इतनी तस्वीरें आपकी
अब मेरे दिल पर इस्त्यार होना चाहिए।।
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चाहत के अश्यां में तेरा ही बसेरा हो
अन्धयारी रात के बाद उम्मीदों का सवेरा हो
उम्मीद जगे हमारी धड़कन से
शशांक का हो मिलन किरण से
मिलन में ना कोई तन्हाई हो
दो जिस्म "औ" इक परछाई हो।।
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जाने कब से दुनिया से छिपाए बैठे है
तेरी मोहब्बत का अरमा जगाये बैठे है
खाब तो आते है रोज इन पलकों में
हमारे मिलन का सपना सजाये बैठे है।।
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भेजा तो था फरमान अपने करार का
न पता था हो जायेगा अंत यूँ, मेरे ऐतबार का
बेशक की थी हमने वफाई आपसे
ना पता था फरमान यूँ राह में जल जायेगा।।
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याद तेरी जब भी आती है,
सपनो के चौराहें पर
जाने कैसे गीत उमड़ उठता है
धड़कन की राहों पर
छोड़ गए हो जब से तुम
तन्हाई के रेले में
याद तेरी आने पर होता हूँ अकेला
बैशाखों के मेले में
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