चुरा-कर निगाहें सारे जहाँ से
देखती हो जब तुम बैठी वहां से
लगता है जैसे फूल खिल गया
गुलशन से आकर गुल मिल गया
तब ये मचलता है दिल कितना
बताऊँ मै कैसे...
आती हो जब तुम, मेरी पनाहों में
उमरता है गीत कोई, मेरे मन की रहो में
उन गीतों को शब्दों में ढालूं मै कैसे
दिक्कत है क्या मेरी, बताऊँ मै कैसे...!!