लीजिए बज गई कुकर की सीटी,आपको नहीं सुनाई देगी क्योंकि ये सीटी बजी है मुंबई के अंधेरी ईस्ट की एक सोसायटी की दूसरी मंजिल पर रहने वाले विश्नोई जी के घर। वो भी सुबह ५.१५ बजे ।जो रोज सुबह ७.१२ की ट्रेन पकड़ते है और पत्नी जी उनका टिफिन बनाती है लेकिन हमें यहां नहीं हमे तो २०४ में जाना है क्योंकि कहानी विश्नोई जी की नहीं पाटिल परिवार की है।