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First 10 Chapter

छोटी सरपंच यह एक शहर की लड़की की कहानी है, जिसे उसके मां बाप बचपन में आई के पास ही छोड़ गए थे। 20 साल की उम्र पूरी होने पर उसके मां-बाप उसे वापिस लेने आते है। लड़की शहर में पली बढ़ी थी, उसे गाँव में रहते हुए काफी मुश्किल होती है। एक घटना से प्रभावित होकर वो सरपंच बनने का प्रण लेती है, परंतु गांव की जिन्दगी में और शहर की जिन्दगी में काफी फर्क था। उसका इस सफर में एक रूद्र नाम का लड़का साथ देता है। यह कहानी पूर्ण रूप से काल्पनिक है। नारी का हमेशा आदर करना चाहिए। प्रतीक सक्सेना (बठिंडा) 92179-22993 छोटी सरपंच भाग-पहला शहर से गांव में प्रवेश गाड़ी प्लेट फार्म से चलने को तेयार थी, एक 19-20 साल की लड़की, बूढ़ी मां के सीने से लगकर रो रही थी। वहां खड़े सभी लोग उन्हें ही देख रहे थे। ऐसा लग रहा था, जैसे उस लड़की को उस बुढ़िया से दूर कहीं ओर लेकर जा रहे हो। बूढ़ी मां उस लड़की को हौसला दे रही थी, बेटी यह तुम्हारा असली परिवार है, मैं तो आई हूं, यही तेरे मां बाप है, तुम इनके साथ काफी खुश रहोगी। गाड़ी चलने को तैयार थी, वो परिवार जो लड़की को लेने आया था, वो परिवार जल्दी से लड़की को लेकर रेल गाड़ी में बैठ जाता है। यह सब देख रहा रूद्र भी उस रेल गाड़ी में बैठ जाता है, रूद्र अपने पिता जी के चाचा के बेटे के यहां रहने जा रहा था। रूद्र को काम के सिलसिले से एक गांव में जाना था। रेल गाड़ी अपनी रफ्तार पकड़ चुकी थी। वो लड़की चुपचाप खिड़की से बाहर की तरफ देख रही थी। रूद्र अपने गांव के आने की राह देखने लगा। सफर लंबा था, रूद्र ने अपना लैपटॉप निकाला, तभी उस परिवार के साथ आया हुआ बच्चा रूद्र के साथ बैठ गया। रूद्र ने उससे पूछा कि तुम क्या करते हो, तब उस बच्चे ने बताया की, मैं पढता हूँ, आज मै अपनी दीदी को लेने आया हूँ । रूद्र ने आगे पूछा दीदी इतना क्यों रो रही है, तब उस बच्चे ने बताया कि दीदी को घर वापिस लेकर जा रहे है। आप जल्दी से कार्टून लगाओ मुझे कार्टून देखना है, रूद्र ने उसे कार्टून लगा कर दिया। रूद्र कार्टून नहीं देखता था, उसने लड़की से पूछा आप इतना क्यों रो रहे थे। उसने रूद्र को कोई जवाब नहीं दिया। रूद्र चुपचाप गाड़ी की उपर वाली सीट पर सोने चला गया। पता ही नहीं चला कब मंजिल आ गई, रूद्र ने अपना सामान उठाया और स्टेशन से अपने रिश्तेदारों के यहां पहुंचने के लिए रिक्शा की। गांव में टूटी सड़के, टूटी सड़को पर जगह जगह पानी भरा हुआ था, रूद्र जहाँ भी देखता वहां गांव का बुरा हाल था, परन्तु रूद्र ने एक बात पर गौर किया कि पुरे गांव में एक आलीशान बंगला दूर से दिख रहा था। वहां सफेद घोड़े, मोर, आदि आम घूम रहे थे। रूद्र उस बंगले को देख ही रहा था वहां एक अंकल आए और उस से पूछा तुम माथुर जी के बेटे हो, रूद्र ने हां में जवाब दिया। तब उन्होंने रिक्शे वाले से कहां, तू तो इस गांव का है, तुझे पता नही यहां खड़ा रहना मना है। जल्दी से चलो, यहां सरपंच जी आ गए तो गुस्सा होंगे, रूद्र उनके साथ चल पड़ा। वो रूद्र को एक घर में लेकर गए। जहां चार कमरे ओर एक बढ़ा मैदान था। वहां पहुंचते ही उसे पता चला कि यही वो घर है, जहां उसके पापा के चाचा जी के बेटे रहते है। उसने सभी के पैर छुए और उनसे बातें करने लगा। अभी उनकी बातें हो ही रही थी, एक परिवार उनके घर में आया। रूद्र ने देखा वो लड़की जो गाड़ी में चुप चाप बैठी थी, वो उस परिवार के साथ आई हुई थी, उस लड़की के भाई ने रूद्र को पहचान लिया, रूद्र के पूछने पर पता लगा कि लड़की के पिता सरकारी स्कूल में अध्यापक है एवं उसके अंकल उस स्कूल के अध्यक्ष। उनका परिवार, रूद्र के अंकल को काफी मानता था। रूद्र वहां उनके साथ चाय पीने लगा। शाम का वक्त होने वाला था, रूद्र ने घर के बच्चो से कहा, यार मुझे गांव तो दिखा लाओ, तभी उसकी आंटी बोली, बेटा नेत्रा को भी साथ लेते जाना। रूद्र के हां करते ही, नेत्रा उसके साथ चल पड़ी। रास्ते में सड़कों का बुरा हाल था। नेत्रा बोली, बेकार गांव है, तभी वो गांव नहीं आना चाहती थी, यही लोग लेकर आए है, बेकार से गांव में, नेत्रा की बहन गीत बीच में बोलती है, दीदी यहां कुछ ना बोलो, यदि चौहान अंकल के लोगो ने सुन लिया तो, पापा को तंग करेंगे। नेत्रा कहती है, मैं नहीं डरती तेरे चौहान अंकल से, गांव का बुरा हाल किया हुआ है। साथ वाले गांव इतने विकसित है और यहां कुछ भी नहीं। रूद्र भी बोल पड़ा, नेत्रा ठीक कहती हो, लोगो को पैसे खाने आते हैं, काम करना पड़े तो पता चले। वो सभी बात कर ही रहे थे, बंगले के ऊपर खड़ा 315 राइफल के साथ आदमी बोला, क्यों खड़े हो यहां, यहां से चले जाओ तुम। तीनो आगे बढ़ना शुरू करते है, तभी एक मिट्टी से बना गोला उनके ऊपर गिरता है, एक दम से गोलो की गिनती बढ़नी शुरू हो जाती है। रूद्र और नेत्रा उस हवेली के अंदर जाने लगते है, तभी गीत उन्हें कहती है अंदर ना जाओ पर नेत्रा उसकी बात नहीं मानती और हवेली में पहुंच जाती है। रूद्र भी उसके पीछे पीछे हवेली के अंदर चला जाता है। वहां हर जगह हथियारों से लैस लोग कोने कोने पर खड़े थे। वहां झूले पर सफेद कुर्ता पजामा पहने एक आदमी उन्हें अपनी ओर बुलाता है, और कहता है कि तुम इस गांव के नहीं, इसलिए तुम दोनों को माफ कर रहा हूं, नेत्रा कहती है माफी किस बात की, आपके बंगले से हमारे पर मिट्टी फेंकी गई है। माफी आपको मांगनी चाहिए, तभी उस आदमी का गुंडा बोलता हैं, ए छोरी ज्यादा बोली तो कुत्ते पीछे छोड़ दूंगा, यह यहां के सरपंच है। नेत्रा कहती है सरपंच है, कोई कलेक्टर नहीं जो अपनी मर्जी करेंगे। नेत्रा अभी बोल ही रही थी वहां एक औरत आती है और नेत्रा के कान पकड़ लेती है और उसे चुप होने को कहती है, तभी नेत्रा कहती है, मै भी एक दिन इस गांव की सरपंच बनूंगी। यह सुनते ही सभी हसने लगते है। नेत्रा गुस्से से बाहर निकलती है और बाहर आते ही नेत्रा कहती है वो एक दिन इस गांव की जरूर सरपंच बनेगी। गीत कहती है, जल्दी से चलो रात होने वाली है यहां रात को बाहर निकलना बंद है। सभी घर पहुंच जाते है, नेत्रा का परिवार विदा लेता है और वहां से चला जाता है। क्या नेत्रा का सरपंच बनने का फैसला गुस्से में लिया गया था? क्या 50 साल से राज कर रहे सरपंच से नेत्रा मुकाबला कर सकेगी ?   छोटी सरपंच भाग-दूसरा नेत्रा का प्रण सुबह होते ही, रूद्र गांव के बीडीपीओ के पास जाता है। रूद्र को गांव में सड़क बनाने का कार्य शुरू करना था, जिसके लिए उसे बीडीपीओ की मंजूरी की जरूरत थी। जैसे ही वो दफ्तर पहुंचता है, तो देखता है, वहां सरपंच पहले से मौजूद था। सरपंच रूद्र को देखकर बोला, बच्चे कैसे करना है हिसाब, 8-2 या 7-3। रूद्र को कुछ समझ नहीं आया। उसने उनसे पूछा आप किस बारे में बात कर रहे है, तो सरपंच ने बताया कि सड़क के निर्माण कार्य में जिन वस्तुओं का प्रयोग होना है, वो उसके साले से लिया जाएगा, सड़क कार्य में जितनी सामग्री सड़क के लिए चाहिए, उसका दुगना सरकार को लिख कर भेजना है। इसके लिए तुम्हे 20 प्रतिशत मिलेगा। रूद्र ने उन्हें साफ इंकार कर दिया। सरपंच ने उसे धमकाते हुए कहा कि तुम यहां मेरे गांव में काम करने आए हो और मेरे हिसाब से ही चलना होगा। यदि तुम इस काम के लिए उन्हें ना करते हो तो, उसके द्वारा किया गया एग्रीमेंट खतम हो जाएगा और उसे 1 लाख रुपए जुर्माना भी भरना पड़ेगा। रूद्र कुछ नहीं समझ पा रहा था। रूद्र ने अपना घाटा देखते हुए, उनसे हाथ मिलाना अभी के लिए ठीक समझा और उसने कहा कि वो ज्यादा हेरा फेरी नहीं करेगा, तो सरपंच ने कहा ठीक है, तुम्हारे हिस्से का पैसे हम बिल में कम कर देंगे। उसे मजबूरी में यह कदम उठाना पड़ा। रूद्र ने दस्तावेज बीडीपोओ को पेश किए एवं बीडीपोओ ने उसे काम शुरू करने की मंजूरी दे दी। मंजूरी मिलते ही अपने घर चला जाता है एवं अपने अंकल से लेबर की बात करता है। उसके अंकल उसे लेबर के लिए उनके स्कूल के अध्यापक के पास भेजते है, जो पिछले दिनों उनके पास आए थे, रूद्र उनके पास पहुंचता है और उनसे लेबर की बात करता है। अध्यापक उसे कुछ लोगो से मिलवाते है, रूद्र कुछ लोगो चयन करता है। रूद्र अध्यापक से कहता है, अध्यापक मोहदय मुझे एक पढ़ा लिखा व्यक्ति भी चाहिए। जो हिसाब का लेखा जोखा कर सके। अध्यापक जी ने एक दम से बोला, आप हमारी बेटी को मौका दे, वो शहर से पढ़ कर आयी है। रूद्र ने बिना सोचे हां करदी और वहां से सीधा अपने दफ्तर में पहुंचकर कार्य में लग गया। तभी वहां नेत्रा उसके पास आती है, और पूछती है आपको मेरे से क्या काम, मुझे आपके साथ काम करने में कोई दिलचस्पी नहीं। रूद्र कहता है है कौन सा, नेत्रा कहती है लेखा जोखा का, जो तुम मेरे पिता के साथ करके आए हो। रूद्र उसे समझाता है और पूछता है तुम कल गुस्से में बोल तो आई, सरपंच बनोगी क्या तुम्हे कुछ पता भी है सरपंच बनना इतना आसान नहीं। वो लोग इतने बड़े पैमाने पर है और तुम अकेली। नेत्रा कहती मैंने जो बोल दिया तो बोल दिया। रूद्र ने कहा मेरे साथ गांव की सड़क निर्माण कार्य में 50 से ज्यादा लोग जुड़ सकते है, तुम्हे उनके साथ जुड़ने का मौका मिलेगा। सरकार द्वारा दी जा रही मदद को तुम लोगो तक पहुंचा सकती हो। रूद्र की बात सुन नेत्रा ने हामी भर दी। नेत्रा ने एक शर्त रखी की गांव से बाहर से कोई मजदूर काम करने नहीं आएगा। रूद्र पूरे गांव में सूचना करवाने के लिए मंदिर का सहारा लेता है और लाउड स्पीकर से सभी मजदूर भाइयों को अगली सुबह आने को कहता है। नेत्रा और रूद्र एक साथ अपने कमरे में बैठे होते है तभी चौहान सरपंच वहां आ जाता है, नेत्रा को देख रूद्र को कहता है तुम बाहर आओ, रूद्र बाहर आ जाता है, तब सरपंच कहता है, इस लड़की को आज के आज ही वापिस भेज दो, मेरा भांजा ही मजदरों की मजदूरी का हिसाब देखेगा। इस पर रूद्र ना कर देता है और कहता है उसने सड़क नर्माण विभाग को नेत्रा का नाम भेज दिया है। अब कुछ नहीं हो सकता है। सरपंच उसे कहता है मेरा हिसाब याद रखना, सड़क बने या ना बने मेरा हिसाब हो जाना चाहिए। इतना कहते सरपंच चला जाता है। रूद्र अपने कमरे की तरफ जाता है, नेत्रा रूद्र को बताती है पिछले साल सरकार ने इस गांव के लिए 6 लाख की ग्रांट जारी की थी, परंतु अभी तक इसका हिसाब सरकार के पास नहीं गया। रूद्र ने उससे पूछा यह सब तुम कैसे जानती हो तब उसने बताया कि यह सब उसने ऑनलाइन पता किया है। दोनों की बात हो रही थी कि रूद्र के अंकल उनके पास आते है और कहते है कि आज हमारे गांव में शिवरात्रि का महोत्सव है, इसलिए तुम दोनों मंदिर में पहुंच जाओ। दोनों अंकल की बात सुन मंदिर जाने के लिए तैयार हो जाते है। रूद्र और नेत्रा एक साथ मंदिर के लिए रवाना होते है। वहां पहुंचते ही रूद्र एक बार फिर घोषणा करता है कि गांव में सड़क निर्माण कार्य के लिए मजदूर की जरूरत है, सरकार द्वारा निर्धारित आय पर आप सभी को मेहनताना मिलेगा। बस आप सभी, कल सही समय पर मेरे दफ्तर पहुंच जाना, पहले 50 लोगो को ही काम के लिए रखा जाएगा। घोषणा होते है ही शिव शंकर के भजनों पर सभी नाचने लगते है, काफी समय होने पर नेत्रा एवं रूद्र वहां से वापिस आपने-2 घर चले जाते है। क्या नेत्रा गांव के लोगो की भावनाओं को आहत करेगी या उनकी उम्मीद पर खरी उतरेगी ?   छोटी सरपंच भाग- तीसरा गांव के लोगो की मजबूरी। अगले दिन, रूद्र एवं नेत्रा के दफ्तर पहुंचने से पहले ही पूरे गांव के लोग इकट्ठा होकर खड़े थे। सभी को एक साथ देख रूद्र थोड़ा घबराता है, पर नेत्रा हिम्मत दिखाते हुए, उन सभी को एक-2 टोकन देती है, जो उसने पिछली रात अपने घर बनाए थे। रूद्र और नेत्रा उन सभी का काम देखना चाहते थे, परंतु एक साथ पूरे गांव को संभालना मुश्किल हो चुका था। गांव के कुछ लोग शोर मचाने लगते है। जिन्हे काबू करना किसी के बस में नहीं था। तभी नेत्रा अपने टेबल पर खड़ी होकर बोलने लगती है और कहती है हमें केवल 50 लोगो की जरूरत है और आप यहाँ 100 से भी ज्यादा आए हो। जिसने पहले सड़क निर्माण कार्य में भाग लिया है, केवल वो ही व्यक्ति सामने आए। यह सुनते ही, सभी पीछे हट जाते है, क्योंकि गांव में लोग किसान थे या छोटा मोटा काम कर अपना पेट पालते थे, परंतु आर्थिक मजबूरी के कारण मजदूरी करने आए थे। सड़क का निर्माण कार्य किसी को ना आने का रूद्र को काफी अफसोस हुआ, परंतु नेत्रा गांव के लोगो से ही काम करवाना चाहती थी। उसने सभी को काम पर आने को कहा। उसने कहा कि सरकार 600 प्रतिदिन के हिसाब से आपको मेहनताना देगी, एवं 50 रूपए आपके बीमा के लिए दिए जाएंगे ताकि यदि किसी दुर्घटना में आप की मौत हो जाती है तो आपके परिवार को मुश्किल ना आए। रूद्र, नेत्रा से पूछता है, हमें केवल 50 लोगो का ठेका मिला है, 100 का खर्चा कैसे उठा सकते है। नेत्रा उसे कहती है, तुम 50 लोगो से 100 दिन में काम करवाना चाहते हो, यह 100 लोग 50 दिन में काम खत्म कर देंगे, तो प्रॉब्लम कैसी। तब नेत्रा सभी से प्रमाण पत्र मांगती है, परन्तु गांव के किसी सदस्य के पास प्रमाण पत्र नहीं था। नेत्रा हैरानी से पूछती है, सरकार के सभी लाभ प्रमाण पत्र के माध्यम से ही मिलते है, आप बिना प्रमाण पत्र के यह लाभ ले कैसे पा रहे है। तब गांव के कुछ लोगो ने बोले ठाकुर जी हमारे देवता है वो ही हमें मुफ्त ब्याज पर राशन देते है। सरकारी कहाँ मदद करती है। नेत्रा को कुछ शक होता है, वह सभी को समझाती है कि सरकार द्वारा दी जाने वाली सुविधा केवल प्रमाण पत्र द्वारा ही मिल पाती है, यह आपका हक है, आपके पास यह प्रमाण पत्र होना अति जरुरी है। सड़क निर्माण कार्य में काम करते समय आपका पंजीकरण जरुरी है। इस से आप सभी सरकार द्वारा निधारित आय पर अपना काम कर सकते है। इसके लिए आपको नजदीकी श्रमिक अधिकारी से मिलके अपना पंजीकरण करवाना चाहिए। जिसके के लिए मैं आपकी मदद करुँगी, परन्तु उस से पहले आप सभी को प्रमाण पत्र बनवाना पड़ेगा। काफी सोचने के बाद सभी लोग प्रमाण पत्र बनाने को राजी हो जाते है। नेत्रा आधार शाखा में पूरी बात विस्तार से बताती है। आधार अधिकारी नेत्रा को अगले दिन आने का वादा करते है। उधर ठाकुर को फोन पर पूरी बात उसका चमचा बता रहा था। ठाकुर अपनी गाड़ी पर उस जगह पहुंचा, जहां गांव के लोग इकट्ठा हुए थे। वह सभी को गुमराह करता है कि सरकार तुम्हारे घर को गिरवी रख देगी। यह कल की आई लड़की और लड़का हमें लूटने आए है। नेत्रा कहती है, जो ठाकुर तुम्हे प्रमाण पत्र के लिए मना कर रहा है, उसके घर के सभी सदस्यो के प्रमाण पत्र बने हुए है, और वो आपको प्रमाण पत्र बनाने को मना कर रहे है। मै यहां आपके गांव की बेटी बन कर आई हूं, और क्या अपनी बेटी का कहना नहीं मानेंगे। आज का पूरा दिन इसी तरह बीत गया। नेत्रा एवं रूद्र खुश थे गांव के लोगो को मिलने वाली सुविधाएं इन्हे उपलब्ध होंगी। जैसे नेत्रा घर पहुंचती है तो देखती है घर में एक परिवार आया हुआ था। उसके पापा ने बताया की यह तुम्हे देखने आए है, उसकी शादी के लिए। यह सुनते ही नेत्रा चीख पड़ती है, उसे शादी नहीं करनी, किसकी मर्जी से अपने इन्हे बुलाया । इतने साल मुझे अपने दूर रखा और अभी 10 दिन भी नहीं हुए आप मुझसे छुटकारा पाना चाहते है। यदि छुटकारा चाहिए ही था लेकर ही क्यों आए हो। नेत्रा रोती हुई अपने कमरे चली जाती है। नेत्रा को देखने आए लोग भी वापिस चले जाते है। नेत्रा के माता पिता उसे समझाने कमरे में जाते है, परंतु नेत्रा किसे से बात नहीं करती और भूखी सो जाती है। क्या नेत्रा सभी के बैंक खाते खुलवाया पाएगी ? छोटी सरपंच भाग- चोथा नेत्रा एवं रूद्र की कठनाई सुबह नेत्रा समय पर रूद्र के दफ्तर में पहुंच जाती है। रूद्र वहां अभी तक नहीं पहुंचा था, नेत्रा के पास दफ्तर की दूसरी चाबी थी, गांव के लोग भी उसके दफ्तर पहुंच गए थे, सभी चाहते थे उनका प्रमाण पत्र बन जाए, और जल्दी से उनका पंजीकरण हो सके। नेत्रा आधार शाखा में बात करती है तो वो बताते है कि वह जल्दी ही गांव पहुंचने वाले है। आधार वालों के पहुंचते ही गांव वालों में एक खुशी दौड़ उठी थी। सभी नेत्रा की तारीफ करने लगे। सभी गांव वासी अपना प्रमाण पत्र बनवा रहे थे, तभी रूद्र वहां पहुंचता है, रूद्र काफी परेशान था, उसकी परेशानी साफ देखी जा सकती थी। नेत्रा उसे सब पूछती है, तो रूद्र बताता है कि उसका सड़क का ठेका रद्द होने के कगार पर है। सरकार ने मुझे नोटिस भेजा है कि मैं उन कारीगरों से काम करवा रहा हूं जिन्हे सड़क निर्माण का कार्य नहीं आता। नेत्रा भी सोच में पड़ जाती है। अभी दोनों सोच ही रहे थे कि वहां जिले के कलेक्टर उनके वहां अपनी टीम के साथ पहुंच जाते है। दोनों को जब पता चलता है कि सामने खड़ा व्यक्ति कलेक्टर है तो दोनों उनका स्वागत करते है। कलेक्टर उन्हें बताते है सरकार ने आपको नोटिस जारी किया है, हम उसका नरिक्षण करने के लिए आपके पास आए है। इसके बारे में आप क्या सफाई दोगे। तब नेत्रा कहती है, सर हम जानते है जिनसे हम काम करवाना चाहते है, उन्हें सड़क निर्माण कार्य नहीं आता। परन्तु इन सभी को काम की काफी जरुरत है। मैं आपसे वादा करती हूं कि गांव की सड़क को कोई नुक्सान नहीं होगा। कलेक्टर उसे बीच रोक कर कहता है, कहने और करने में फर्क होता है। मुझे इसका सबूत दिखा दे, मैं आपको सड़क निर्माण कार्य का ठेका फिर दिलवा दूंगा। अब नेत्रा एवं रूद्र के लिए यह सब परीक्षा से कम नहीं था। नेत्रा एवं रूद्र गांव के कुछ व्यक्तियों को सड़क निर्माण कार्य वाली जगह पर लेकर जाते है, जहां पहले से कलेक्टर साहिब बैठे हुए थे। नेत्रा सभी व्यक्तियों का परिचय कलेक्टर से करवाती है। कलेक्टर उन्हें काम करने की मंजूरी देता है। वीडियो बननी शुरू हो जाती है। सभी अपने काम को बखूबी निभाते है। कलेक्टर यह सब देख हैरान था। वास्तव में नेत्रा ने पहले से सभी मजदूरों को एक वीडियो के जरिए सड़क निर्माण कार्य सीखा दिया था। गांव के लोगो की मेहनत एवं नेत्रा के विश्वास के कारण वो इस परीक्षा को पास करने में सफल हो ही चुके थे परंतु जैसे ही वहां पर पहुंचे सरपंच ने कलेक्टर को बताया की बढ़ी बढ़ी मशीनें इन लोगो से नहीं चल सकती। यह कार्य इन्हे ना दो। तब रूद्र अपने साथ कुछ लड़कों को लेकर आता है, जो अभी आई टी आई से पढ़ कर आए थे। उन्हें इन नई युग की मशीनों का प्रयोग करना अच्छे से आता था। कलेक्टर सभी के काम से संतुश्ट होता है, और रूद्र को सड़क का ठेका जारी करता है। तब नेत्रा कलेक्टर को बताती है वो गांव के 100 लोगो को रोजगार देना चाहती है, जिस पर कलेक्टर ने उन्हें कम समय में काम करने के वादे पर 100 लोगो को रोजगार देने की मंजूरी दी। नेत्रा उनका वादा मान लेती है। सरपंच एवं कलेक्टर अपनी - 2 गाड़ियों में सवार होकर वहां से चले जाते है। नेत्रा सभी मजदूरों को कल से ही काम शुरू करने का आदेश देती है। दूसरी तरफ आधार बनाने की प्रक्रिया में समय था, सभी कार्य अपने समय पर हो रहे थे, तभी पता चलता है कि नेत्रा के घर पर कुछ हमलावरों ने हमला कर दिया है। सभी अपना काम छोड़ कर नेत्रा के घर पहुंचते है तो देखते है कि नेत्रा के घर में आग लगी हुई है, सभी आस पड़ोस के लोग उस आग को बुझाने में लगे हुए थे। तभी नेत्रा तेजी से भागते हुए घर में जाने लगती है, परंतु उसे रूद्र रोक लेता है। नेत्रा उसे कहती है उसका भाई अंदर है, रूद्र बिना देरी किए घर में चला जाता है। आग चारो तरफ फेल चुकी थी। रूद्र, नेत्रा के भाई को बचाता है, परंतु आग की लपेटो में आने के कारण उसका हाथ काफी जल जाता है। डॉक्टर की सुविधा ना होने के कारण उसे दूसरे शहर में लेकर जाते है। गांव इस तरह की यह पहली घटना थी। नेत्रा खुद को संभालते हुए गांव वासियों को आधार शाखा में जाने को कहती है, सभी ना चाहते हुए वहां से चले जाते है। क्या रूद्र का जला हुआ हाथ, ठीक हो पाएगा ? क्या नेत्रा को इस सब का सच पता लगेगा ?   छोटी सरपंच भाग- पांचवां सरपंच का सच नेत्रा देखती है, एक आदमी उसके घर के पास बनी दुकान पर खड़ा सब देख रहा है, जहां सभी आग बुझाने की कोशिश कर रहे थे, वहां वो आदमी तमाशबीन बना हुआ था। नेत्रा ने ध्यान दिया तो उसे याद आया कि यह वो ही आदमी है, जो पिछले दिनों सरपंच के घर उसे धमका रहा था। नेत्रा के पास अभी सोचने का समय नहीं था,वो उस हॉस्पिटल की तरह जाती है जहां रूद्र एवं उसके भाई को लेकर गए थे। नेत्रा के साथ उसके अंकल, पापा एवं रूद्र के अंकल आंटी भी थे। हॉस्पिटल में गांव के लोग इकट्ठा होकर खड़े थे। चौहान सरपंच भी अपने साथियों के साथ वहां खड़ा था। सरपंच नेत्रा और उसके परिवारिक लोगो से मिलता है और दिलासा देता है। वहां पर मौके पर दरोगा भी पहुंच जाते है। इस घटना के बारे में सभी से पूछते है। दरोगा सरपंच को अपने पिता समान मानता था। सभी बात कर रहे थे कि डाक्टर आकर बताते है कि दोनों खतरे से बाहर है। दोनों के घावों को भरने में अभी समय लगेगा। आप दोनों को कल शाम को यहां से लेकर जा सकते है। नेत्रा गांव वालों को वापिस जाने को कहती है परन्तु गांव वाले जाने से इन्कार कर देते है। उसी समय सरपंच को एक कॉल आता हैं, उसे सुनते ही वो एक दम से हॉस्पिटल से निकल जाता है। पता लगता है सरपंची चुनाव की तारीख आने वाली है। इसलिए हाई कमान ने उसे अपने दफ्तर बुलाया है। नेत्रा यह मौका जाने नहीं देना चाहती थी, इसलिए उसने गांव के लोगो को हॉस्पिटल के बाहर एक बाग में इकट्ठा किया, और उनसे कहा की आप पिछले 50 सालो से गुलामी कर रहे हो। आपके साथ वाले गांव इतने विकसित हो चुके है कि वहां आये दिन कोई खेल, कोई प्रोगाम हो रहा होता है। हमें मिल कर एक खेल का हिस्सा बनना चाहिए। अपनी गुलामी की जंजीरों को तोड कर खेल मैदान में उतरने के लिए तैयार हो जाए। नेत्रा ने यह घोषणा तो कर दी परंतु खेल के लिए कोई मैदान गांव में नहीं था। जिसका पता लगने पर गांव वालो एक साथ काम करने का आश्वाशन दिया और कहां गांव की बंजर जमीन किस काम आएगी। आज ही उस बंजर जमीन को पूरा गांव मिल कर खेल वाली जमीन में बदलने का प्रयास करेंगे। गांव वाले भी नेत्रा की बातों से प्रभावित होते है, और गांव वापिस चले जाते है। नेत्रा हॉस्पिटल रहने का निर्णय लेती है एवं सभी को जाने को कहती है। सभी नेत्रा की बात को समझते हुए वहां से चले जाते है। नेत्रा बार बार अपने भाई एवं रूद्र को देख रही थी। उसने कभी नहीं सोचा था कि रूद्र उसके भाई के लिए जान की बाजी लगा देगा। नेत्रा, रूद्र से काफी प्रभावित हो चुकी थी। डॉक्टर उसे आकर बताते है कि रूद्र को होश आ चुका है, आप उन्हें मिल सकते है। नेत्रा जब उस से मिलती है तो खुद को रोक नहीं पाती और अपने गले लगा लेती है। दोनों एक दूसरे को काफी देर तक यूहीं गले लगा कर बैठे हुए थे। रूद्र नेत्रा को संभालता है और हस्ते हुए कहता है यदि एक हाथ के कारण मुझे इतनी खुशी मिल रही है, तो दोनों हाथो के कारण कितनी मिलती। दोनों एक दूसरे से बातें करने लगते है। नेत्रा का भाई भी अब ठीक था। तभी एक बुजुर्ग उनके पास आता है, तुम दोनों मूर्ख हो तुम्हे कुछ नहीं पता, उसने आज तुम्हारा घर जलाया है, कल तुम्हे जलाएगा। तुम क्या सोचते हो तुम उसे हरा दोगे। मेरा बेटा उसे नहीं हरा सका, तुम क्या चीज हो। पूछने पर पता लगता है पिछले चुनाव में इसका बेटा खड़ा हुआ था, परंतु चौहान ने अपनी हार देखते हुए इस बुजुर्ग के बेटे को रास्ते से साफ करवा दिया। इसका बेटा भी शहर से पढ़ कर आया था, परंतु सरपंच की चलों को समझ ना सका। नेत्रा नोटिस करती है एक आदमी उन सब की बातें सुन रहा है, उसके पीछा करने पर भी उसके बारे में पता नहीं चला। नेत्रा के भाई को भी अब होश में आ चुका था, नेत्रा उसके पास जाती है और उसे हँसाने की कोशिश करती है, रूद्र भी उसे नई नई कहानी सुनाने लगता हैं। रात का समय था नेत्रा के पिता वहां पहुंच जाते है और हॉस्पिटल में उन सभी के साथ रात निकलते है। सुबह होते ही डॉक्टर उन दोनों को देखने आते है और उन्हें घर जाने की सलाह देते है। सभी एक गाड़ी मंगवा कर घर के लिए रवाना हो जाते है। नेत्रा अभी तक उस लड़के के बारे में सोच रही थी इसे सरपंच ने मारा था। गांव पहुंचते हुए सभी देखते है, गांव वालों ने बंजर जमीन को एक मैदान में बदल दिया है। नेत्रा और रूद्र गाड़ी से उतर कर, गांव वालों के बीच चले जाते है। नेत्रा कहती है हम अगले हफ्ते एक खेल का आयोजन करेंगे, और सभी मजदूर भाइयों को काम की जगह पहुंचने के लिए कहती है। उसकी बात सुनकर सभी वहां पहुंच जाते है। नेत्रा उन्हें काम समझाती है, जिसे सुनकर सभी आपने-2 काम में लग जाते है। नेत्रा अपने वादे से पीछे नहीं रहने वाली थी, उसने एक सरकारी बैंक में बात कर गांव वालों के खाते खुलवाने के लिए निवेदन किया। एक साथ पुरे गांव के लोगो के खाते खोलने पर बैंक अधिकारी खुश हो जाते है। एक घंटे बाद 7-8 बैंक अधिकारी वहां पहुंच जाते है। नेत्रा सभी गांव वालों को उन से मिलवाती है, और सरकार द्वारा लाए गए जन धन योजना तहत सभी का खाता खुलवाती है। वह सभी को समझाती है कि हर व्यक्ति का बैंक में खाता होना चाहिए नहीं तो सरकार द्वारा कोई लाभ आपको नहीं मिल पाएगा। लोगो का नेत्रा पर विश्वास बढ़ रहा था। क्या नेत्रा का सपना पूरा हो पाएगा ? छोटी सरपंच भाग छ्ठा नेत्रा का विश्वास एवं रूद्र की कोशिश 01 हफ्ता बीत गया परंतु सड़क निर्माण कार्य अभी तक शुरू नहीं हुआ था, क्योकि किसी व्यक्ति का पंजीकरण नहीं हुआ था, सभी गाँव वालों को यह डर था यदि उनका पंजीकरण श्रमिक में हो जाता है तब उन्हें किसान होते हुए किसान का कोई लाभ नहीं मिल पाएगा। रूद्र लोगो का डर समझते हुए श्रमिक अधिकारी को गांव में निमन्त्र देता है, कुछ समय बाद जब अधिकारी वहां पहुंचता है वह लोगो से बताता है कि आपके पंजीकरण करने से आपको मिलने वाले लाभ बंद नहीं होंगे, बल्कि आप को 100 दिन का रोजगार मिलेगा। लोग उस अधिकारी पर विश्वास तो कर रहे थे परन्तु उन्हें डर भी था कि वो किसी मुसीबत में न फस जाए। अधिकारी द्वारा उन्हें समझाने पर उन्हें उस पर विश्वास होता है और गाँव वासी पंजीकरण करवाने हेतु तैयार हो जाते है। नेत्रा सभी व्यक्तिओ के फॉर्म भर्ती है और उन्हें अधिकारों को दे देती है। अधिकारी द्वारा बताया गया कि १ हफ्ते के अंदर अंदर उन्हें कार्ड मिल जाएंगे। इतना कह कर वो वहां से चला जाता है। उसके जाते ही नेत्रा सभी गांव वालों से कहती है कि हमें जल्दी से काम शुरू करना होगा, नहीं तो उनका काम जल्दी ख़तम नहीं होगा। सड़क को पूरे गांव में तैयार करना है, वो भी महीने के अंदर। सभी नेत्रा को विश्वास दिलवाते है कि वो 1 महीने में काम कर देंगे। दोपहर का समय था, मजदूर भाई अपना अपना खाना खा रहे थे। रूद्र ने नेत्रा को कहां तुम मेरे साथ शहर चलों,वहां सड़क कार्य का सामान लेना है और हम कुछ घूम भी लेंगे। नेत्रा रूद्र को पसंद करती थी इसलिए वो उसके साथ चल पड़ती है। शहर में पहुंच कर रूद्र एवं नेत्रा पहले अपना काम करते है फिर उसके बाद एक ढाबे पर बैठ कर बातें करते है। नेत्रा रूद्र को कहती है कि मैंने सरपंच का सपना तो देख लिया परंतु में इसे पूरा कैसे करूंगी। मुझे इसके बारे कोई जानकारी नहीं। परंतु मैं हार नहीं मानना चाहती। रूद्र कहता है, आज हम इस सिलसिले से एक एसे व्यक्ति के पास जाएंगे जिसने बढ़े बढ़े नेताओं के सामने आम नागरिकों को नेता बनाया। दोनों अपना खाना खत्म कर उस व्यक्ति के घर पहुंच जाते है, वहां एक बूढी औरत बैठी थी, उसके आस पास काफी संख्या लोग बैठे उससे फरियाद कर रहे थे। रूद्र उस बूढ़ी औरत को अपना परिचय देता है, बूढ़ी औरत उस से उसका नाम पूछती है, तब रूद्र ने उन्हें बताया उसका नाम रूद्र है और एक साथ वाले गांव से आया है, रूद्र का नाम सुन बूढ़ी और उठती है और रूद्र को गले से लगा लेती है, उस बूढ़ी औरत के आंखो में आंसू साफ देखे जा सकते थे। वहां खड़े लोग अनजान थे कि अम्मा को क्या हुआ है। नेत्रा भी उनसे मिलती है। बूढ़ी औरत उन्हें आर्शीवाद देती है। बूढ़ी औरत उन दोनों को कहती है तुम दोनों आज वापिस जाओ मेरे पास आने वाले शनिवार को सुबह आना। रूद्र उनकी बात सुन वापिस जाने लगता है तो बूढ़ी मां उस से पूछती है तेरी मां क्या करती है, रूद्र कहता अम्मा मेरी मां जन्म से नहीं और कहते वहां से चला जाता है। नेत्रा और रूद्र गांव में पहुंच जाते है, सभी लोग उनका इंतजार कर रहे थे, क्योंकि उनको अपने मेहनताने की जरूरत थी। गांव के कुछ लोग दोनों को बुरा भला कहते है। तब नेत्रा कहती है, आप सभी ने जो बोलना था बोल दिया, जिन व्यक्तियों ने मुझे खाता नंबर लाकर दिया, उन व्यक्तियों का मेहनताना उनके खाते में आ चुका है। यदि आप खाता नहीं खुलवाते मै कुछ नहीं कर सकती। सभी लोग यह सुन वहां से चले जाते है, रूद्र और नेत्रा दोनों काम को देखने गांव की सैर करने निकल जाते है। क्या नेत्रा और रूद्र गांव वालो के दिल जीत चुके है ?   छोटी सरपंच भाग सातवां मजदूरों की हड़ताल अगले दिन नेत्रा और रूद्र जब अपने दफ्तर पहुंचते है तो देखते है, अभी लोगो को काम करते हुए हफ्ता नहीं हुआ, और वो हड़ताल पर चले गए है। नेत्रा को इस बात का काफी गुस्सा आता है, क्योंकि गांव के लोग ना जाने क्यों उसकी बात समझ नहीं पा रहे थे। सभी में रोष था कि गांव में कोई बैंक की सुविधा नहीं, पूरे दिन की मेहनत के बाद दूसरे गांवों में पैसे के लिए जाना पड़ता, 600 रू मेहनताना तो मिलता है, पर उस में 50 रुपए खर्च भी हो जाते है। नेत्रा गुस्से में उन्हें कहती है, एक तो वो उन्हें काम दिलवा रही है, और यदि उनके सरपंच ने गांव का विकास नहीं किया तो उसकी क्या गलती। आज गांव में सड़क बन रही है, गांव के लोगो के खाते खुल चुके है, मुझे कहने से पहले अपने सरपंच को पूछो, जिसने ना जाने कितने लोगो का पैसे खा कर अपना बंगला तैयार किया है, कभी पूछा अपने सरपंच से तुम सभी ने। यह सुनते कुछ लोग नेत्रा और रूद्र के रिश्तों के बारे में बुरा भला कहने लगते है। इसी बीच सरपंच वहां पहुंच जाता है और इस हड़ताल का जायजा लेते है। वह रूद्र को काम से हटवाने की धमकी देता है और कहता है तुम जैसे लोगो के कारण आज गांव विकसित नहीं हुआ। नेत्रा को यह बात अच्छी नहीं लगी उसने सरपंच को आढ़े हाथ लेते हुए पूछा कि पिछले साल गांव को 10 लाख की ग्रांट जारी की गई थी, वो 10 लाख कहां खर्च हुआ। 10 लाख की बात सुन सरपंच के पैरों तले जमीन खिसक गई। सभी सरपंच को एक नजर से देखने लगे। सरपंच को कोई जवाब नहीं आता तभी सरपंच का बेटा नेत्रा को धमकाते हुए कहता है, ज्यादा ना बोल छोरी तुझे यही गोली से भून दूंगा। नेत्रा डरने वालों में से नहीं थी, उसने गांव वालो को बोला तुम सब ऐसे सरपंच को नेता चुनते आ रहे हो जिसने कभी गांव का विकास नहीं किया और जब हम गांव का विकास करने चले है तो यही सरपंच तुम सब को अपनी बातों में फसा कर,तुम्हे काम से भागना चाहता है, जहां तक गांव में बैंक की बात है तो मेरे हिस्से में आने वाला घर, जो पिछले काफी समय से बंद है, वहां इस हफ्ते बैंक आएगा। आप हम पर विश्वास करो और अपने अपने काम पर लौट जाओ। नेत्रा की बात सुन सभी अपने अपने काम पर चले जाते है, सरपंच, नेत्रा को सबक सिखाने का मन बना लेता है। कुछ समय बाद नेत्रा रूद्र से कहती है कि उसे आज ही बैंक अधिकारियों से बात करनी है, रूद्र उसे समझाता है कि अभी जल्दी ना करे परंतु नेत्रा नहीं मानती। नेत्रा की जिद के आगे रूद्र हार मान लेता है और उसे शहर में लेकर जाता है। वहां शहर में वो उन बैंक अधिकारियों से मिलते है जो पिछले समय गांव में आए थे, नेत्रा उन्हें पूरी बात कहती है, इसी बीच बैंक अधिकारी उन्हें कहते है, बैंक की ब्रांच खोलने के लिए हफ्ता नहीं एक साल लग जाता है। आप हमारे से एसे बात कर रही है जैसे एक दो दिन का काम हो। तब नेत्रा उन्हें कहती है जैसे मैंने आपके बैंक में 100 खाते खुलवाए है वो मैं ऑनलाइन के माध्यम से बंद भी करवा सकती हूं। मुझे आप एक हफ्ते में एक ब्रांच खोलकर दे या गांव के सभी खाते भूल जाए। जो बैंक हमारे गांव में ब्रांच खुलवाएगा उसके बैंक में हम खाता खुलवाएंगे । यह सुनते बैंक अधिकारी नेत्रा को समझाते है परंतु नेत्रा नहीं मानती। जब नेत्रा उनकी बात नहीं मानती तो बैंक अधिकारी कहते है ठीक है हम इस हफ्ते अपने कार्य शुरू कर देंगे और आप हमें दो हफ्ते का समय दो। नेत्रा उन्हें अगले दिन गांव आने को कहती है और यही बात गांव वालो के सामने कहने को कहती है। बैंक अधिकारी नेत्रा के साथ समय निश्चित करते है, और अगले दिन आने का वादा करते है। नेत्रा और रूद्र वापिस अपने गांव चले जाते है। नेत्रा रूद्र वापिस आकर देखते है गांव वालों ने काफी काम कर लिया था, बड़ी बड़ी मशीनें भी आ चुकी थी, जिसका इंतजाम पढ़े लिखे नौजवानों द्वारा किया जा रहा था। गांव के कुछ लोग रूद्र के पास आते है और कहते है हम अपने गांव के लिए कुछ भी करने को तैयार है, हमें गांव का विकास चाहिए ना की गुलामी। हम सभी बिना पैसे लिए काम करेंगे। रूद्र उन्हें कहता है, आपका विश्वास ही हमारी ताकत है यदि आपको विश्वास है तो मैं इस गांव को शहर से भी सुंदर बनाकर दिखाऊंगा। क्या बैंक अधिकारी नेत्रा के घर को लेना पसंद करेंगे ?   छोटी सरपंच भाग आठवां गांव में बैंक सुबह होते ही, बैंक अधिकारी गांव पहुंच जाते है। गांव के कुछ लोग वहां मौजूद होते है। रूद्र को कुछ कार्य होने के कारण वह रात को ही चला गया था। बैंक अधिकारी नेत्रा को वो जगह दिखाने को कहते है, जहां बैंक बनाया जा सके। नेत्रा उन्हें अपने पुराने घर लेकर जाती है, जो काफी खस्ता हालत ने था। बैंक अधिकारियों ने नेत्रा से कहा कि हम बैंक बनाने को तैयार है, परंतु हमें आज के आज 50 खातों की जरूरत है, यदि आप 50 खाते हमें लाकर देंगी, हम यहां बैंक बना देंगे। एक हफ्ते में बैंक यहां होगा। बैंक अधिकारियों की बात सुन सभी गांव वाले सोच में पड़ जाते है, क्योंकि करीब करीब सभी घरों में एक बैंक खाता मौजूद था। नेत्रा गांव के कुछ लोगों के साथ बात करती है और बाकी लोगों को काम पर भेजती है। नेत्रा गांव के लोगो से कहती है, 50 खाते कहा से लाए जाएं। आप सब मुझे बताए, मैंने अपना काम कर दिया, अब आप भी अपने गांव के लिए कुछ कारों। सभी अलग अलग सलाह देते है। कोई कहता है तुम अपना घर मुफ्त में दे सकती हो, कोई कहता है हम उन्हें बोल देते है, हमें बैंक नहीं चाहिए और ना कोई बैंक खाता। किसी बात पर कोई सहमत नहीं होता। तभी एक बच्चा उनके पास आता है और कहता है आप मेरा खाता खोल दो उसकी बात सुन सब हसने लगते है, परंतु नेत्रा को उसकी बात में कुछ दम लगा। उसने गांव के लोगो से पूछा यदि आप अपने घर की औरतों और बच्चो का खाता खुलवा दे तो, 50 नहीं उस से भी ज्यादा खाते खुल सकते है, और इसके बदले में हम बैंक वालो से कुछ भी मांग सकते है। इस बात कर कोई राजी नहीं होता। क्योंकि कोई नहीं चाहता था, गांव की औरतें और बच्चे बैंक में जाए। नेत्रा उन्हें उन्हें समझाती है परंतु कोई राजी नहीं होता। तब वो ही बच्चा कहता है, बापू की मां के सामने नहीं चलती, आप मां से बात करो। बच्चे की बात सुन नेत्रा, दफ्तर के बाहर खड़ी औरतों के पास पहुंच कर सभी को पूरी बात कहती है। गांव की औरतों ने मिलकर नेत्रा का साथ देने का वादा किया। गांव की एक एक औरत नेत्रा के साथ बैंक अधिकारियों के पास खाता खुलवाने पहुंच जाती है। बैंक अधिकारी दर्जनों औरतों को देख समझ जाते है कि नेत्रा ने खाते खुलवाने का कार्य, एक दिन में पूरा कर दिया। बैंक अधिकारी उन सब का खाता खोलते है, और नेत्रा के साथ गांव में बैंक बनने के लिए उस मकान के कागज मांगते है। नेत्रा उन्हें कागज देती है। बैंक अधिकारी नेत्रा को कहते है कि आपको कल कचहरी में आना पड़ेगा। वहीं हम आगे की कार्रवाई शुरू करेंगे। वो सब नेत्रा से अलविदा लेते है और गांव से चले जाते है। नेत्रा रूद्र को फोन पर बात करती है और उसे सब कुछ बताती है, नेत्रा धीरे धीरे पुरे गांव में अपना योगदान दे रही थी। तभी नेत्रा के पास उसकी बहन आती है और बताती है कि अम्मा की तबीयत बिगड़ी हुई है, हमें आज ही उनके पास जाना पड़ेगा। नेत्रा काफी सोच में पड़ जाती है, क्योंकि अम्मा ने नेत्रा को पिछले 17 साल तक अपने पास रखा था। दूसरी तरफ गांव में लोगो के लिए बैंक की सुविधा थी। नेत्रा कुछ समझ नहीं पा रही थी। वो रूद्र से दोबारा बात करती है और अपनी मजबूरी बताती है। रूद्र उसे कहता है कि वो जाए क्योंकि अम्मा को आज उसकी जरूरत है। बैंक अधिकारियों से मैं बात करता हूं एवं गांव के लोग हमारी बात को समझेंगे। नेत्रा को रूद्र से बात कर काफी हौसला मिलता है। दोनों के बीच काफी लंबी बाते होती है। रूद्र नेत्रा को गांव के लोगो का हिसाब देखने को कहता है, नेत्रा मजदूरों का हिसाब देखने लगती है तो उसे पता चलता है कि दो दिन से लोगो के खातों में पैसे नहीं गए। नेत्रा सभी के खातों में पैसे ट्रांसफर करवाती है और अपने परिवार के साथ अम्मा के घर के लिए निकल जाती है। क्या नेत्रा रूद्र से प्यार कर बैठी है ?   छोटी सरपंच भाग नोवां नेत्रा को रूद्र से प्यार । नेत्रा ने काफ़ी कम समय में गांव के लोगो का दिल जीत लिया था। पूरे गांव में नेत्रा की बातें होने लगी थी। परंतु गांव का नेत्रा के प्रति प्यार सरपंच को रास नहीं आ रहा था । वो नेत्रा से बदला लेना चाहता था। सरपंच ने गांव के स्कूल का दौरा किया, जहां नेत्रा के पिता जी मुख्य अध्यापक थे। सरपंच के साथ उनके कुछ साथी भी मौजूद थे। स्कूल के दौरे समय उन्होंने काफ़ी कमियां निकालते हुए, नेत्रा के पिता के ख़िलाफ़ लिखकर उच्च अधिकारियों के पास भेज दिया। नेत्रा के पिता आज सुबह ही अपने परिवार के साथ अम्मा जी को देखने दूसरी जगह गए हुए थे। दूसरी तरफ नेत्रा उसका परिवार अम्मा जी के पास पहुंच चूका था। अम्मा की तबीयत कुछ ठीक नहीं थी, अम्मा की उम्र भी काफी हो चुकी थी। इसी बीच अम्मा ने नेत्रा से पूछा जब से तू यहां अाई है, ना जाने कहां खोई हुई है। नेत्रा बात को टालते हुए उनका हाल चाल पूछती है। अम्मा कहती है,बता मुझे क्या बात है बापू का डर है तो बोल इसे बाहर भेज देती हूं। अम्मा की बात सुन नेत्रा शर्मा जाती है। उधर रूद्र बैंक अधिकारियों साथ मिल कर दो दिन बाद की तिथि फिक्स करवाता है। रूद्र मजदूरों का काम देखने गांव में जाता है तो उसे आज स्कूल की घटना का पता चलता है। वो नेत्रा को फोन करता है परंतु नेत्रा परिवार के साथ होने के कारण उसका फोन नहीं उठा पाती। रूद्र तब उसके पिता को फोन करता है और उन्हें सभी बात बताता है, रूद्र की बात सुन नेत्रा के पिता थोड़े घबरा जाते है, तब रूद्र उन्हें हौसला देता है कि शिक्षा विभाग के अधिकारी उसके मित्र है, मै बात करूंगा बस आप कल शाम तक वापिस आने की कोशिश करें। नेत्रा के पिता अपने परिवार को पूरी बात बताते है और सुबह की गाड़ी से वापिस जाने के लिए कहते है। अम्मा जी को जैसे कोई फर्क ना पड़ा हो वो केवल नेत्रा से एक ही बात पूछ रही थी छोरी बता क्या बात हैए किसे प्यार करती है । नेत्रा की ख़ामोशी सब बयां कर रही थी। रात होने को थी सभी काफ़ी थके हुए थे, नेत्रा अम्मा के साथ सो रही थी तब नेत्रा ने अम्मा को बताया कि वो रूद्र से प्यार कर बैठी है, पर वो उसको जानती नहीं वो कहां से आया है क्या परिवार है उसका । अम्मा नेत्रा को समझाती है कि वो जो भी करे सोच समझकर करें। अगले दिन नेत्रा और उसका परिवार वापिस गांव पहुंच जाता है जहां सरपंच ने एक और नई चाल चल रखी थीए सरपंच ने नेत्रा के घर पुलिस बुलाई हुई थीए ना जाने सरपंच के कानों तक यह ख़बर पहुंच जाती है कि नेत्रा के पास मजदूरों का पैसा मौजूद है जो उसे उनके खाते में डालने थे। नेत्रा अपनी सफाई देती हैए परंतु उसको सरकारी काम में नुक्सान पहुंचाने के जुर्म में पकड़ लिया जाता है । रूद्र को जैसे सब पता चलता है वो भी नेत्रा के परिवार के साथ पुलिस थाने पहुंच जाता है। रूद्र जानताथा नेत्रा की कोई गलती नहीं और सरपंच की शिकायत पर पुलिस ने करवाई की है। रूद्र नेत्रा के परिवार को हौसला देते हुए वहां से निकल जाता है। क्या रूद्र का सच नेत्रा के सामने आ पाएगा ।   छोटी सरपंच भाग दसवां रूद्र को इस तरह जाते देख, नेत्रा को अच्छा नहीं लगता। उसे रूद्र भी दूसरे लड़कों की तरह लगने लगता है। तभी रूद्र एक वकील की यूनिफॉर्म में थाने पहुंच जाता है और पुलिस वालो के साथ बात करता है। रूद्र एक वकील था, जिसे जानकर सभी को आश्चर्य होता है। नेत्रा भी हैरान थी, क्योंकि कोई नहीं जानता था, रूद्र एक वकील है । जमानत के कागजात देख कर, थाने वाले नेत्रा को छोड़ देते है। तब रूद्र सरपंच को कहता है कि यदि तुमने नेत्रा या उसके परिवार की तरफ आंख उठा कर भी देखा तो याद रखना तुम्हे मुझसे कोई नहीं बचा सकता। रूद्र अपनी गाड़ी में नेत्रा और उसके परिवार को वापिस गांव ले जाता है। पूरे रास्ते रूद्र एक दम चुप था। घर पहुंच कर नेत्रा की माता उसे खाने के लिए रोकती है, रूद्र को बार बार कहने पर रूद्र को उनकी बात माननी पड़ती है। नेत्रा के पिता रूद्र से उसके बारे में पूछते है तो वो बताता है कि मैं ठेकेदार के साथ एक वकील भी हूं। मै वकालत नहीं करना चाहता था, परंतु पिता जी के जिद्द के कारण में वकील बन सका, और आज मुझे लगा कि मेरे पिता जी गलत नहीं थे। रूद्र उनसे काफी बातें करता है। काफ़ी समय हो चुका था रूद्र वापिस अपने घर चला जाता है। अगले दिन गांव में नेत्रा की बात आग की तरह फैल चुकी थी। हर कोई हैरान था कि नेत्रा यह सब कर सकती है। परंतु एक आधे लोगो को छोड़ सभी नेत्रा पर विश्वास करते है। रूद्र नेत्रा को अपने पास बुलाया और उसे बैंक अधिकारियों से हुए बात का जिक्र करता है। नेत्रा उसी समय रूद्र की गाड़ी में बैंक अधिकारिओं पास पहुंच कर, कागजात कार्य पूरे करती है। बैंक अधिकारी उसे बताते है आने वाली राम नौवीं को बैंक की एक शाखा गांव में तैयार हो जाएगी। नेत्रा काफ़ी खुश थी, वो रूद्र को गले से लगा लेती है। रूद्र नेत्रा से कहता है कि तुम अभी अपने सपने की तरफ ध्यान दो। हमें गांव के लोगो को यह बात बतानी चाहिए, तभी वो तुमसे प्यार करेंगे। जब दोनों वापिस गांव पहुंचते है तो देखते है गांव वालो ने सड़क का आधा हिस्सा खत्म भी कर लिया है। सभी पूरी मेहनत से काम कर रहे थे। रूद्र उनके काम से खुश होकर सभी को एक साथ दो दिन का रोजगार देता है। रूद्र गांव के लोगो से कहता है यदि वो उसके साथ काम करेंगे तो वो दूसरी जगह भी उन्हें ही रखेगा। पूरे गांव में खुशियों की सौगात आने वाली थी। उधर रूद्र बातों ही बातों ने नेत्रा के पिता जी का काम भूल जाता है, तब नेत्रा के पिता रूद्र को फोन कर उसे सब कुछ याद करवाते है, रूद्र, नेत्रा को सब बता कर वहां से चला जाता है। रूद्र जब अपने दोस्त के यहां पहुंचता है तो उसे पता चलता है कि नेत्रा के पिता को बुरी तरह फसाया गया है, रूद्र अपने दोस्त को पूरी बात बताता है, तब रूद्र का दोस्त उसे विश्वास दिलवाता है कि मुख्य अध्यापक को कुछ नहीं होगा, परंतु मुझे उनकी ट्रांसफर करनी पड़ेगी। रूद्र ने कहां तुम्हे जैसे ठीक लगता है, तुम वैसा करो। क्या राम नौवीं पर बैंक खुल पाएगा ?