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Chapter 2 :

“ यादोंकि बारीश ”

इस ठंडी बारिश में आज भी , एक तपिश सी लगती है एक अनजानी सी, एक अजीब सी, कशिश सी लगती है ..................तुझे पाने की ख्वाहिश से , ना बेताब हुए कभी, तेरी ही यादों से पाया है सुकून, थे ग़मगीं जभी | तेरी हर एक याद, किसी फूल सी महकती है, पतझड़ की शाम , शादाब का शबनमी एहसास दिलाती है |