तू अभी तो आंँखें खोली हैं, रोशनी से धो ली हैं भीगने दे जरा धूप में इन्हें सूरज तक की दूरी, तुझे ही तय करनी है अभी तो पंख उलझे हैं, बस थोड़े से ही सुलझे हैं खुलने दे जरा थोड़ा और इन्हें सरहदें आसमां की, तुझे ही तय करनी है चोंच अभी छोटी है, जैसे एक चिकोटी है थोड़ी बडी हो जाने दे, उसमें जान तो आने दे पेट के लिए उड़ान, तुझे ही तय करनी है अभी तो दुनिया में आया है, सब कच्चा सा पाया है थोड़ा बड़ा हो जाने दे, खुद में ताकत तो आने दे मंजिल तक की राहें, तुझे ही तय करनी हैं।।