Tag category: संंजीवनी - उपन्यास (पृष्ठ २००) इस उपन्यास में एक मुस्लिम परिवार के नवयुवक की जीवनी के कुछ अंश हैं जो अपने स्वयं के प्रयासों से फिजियोथैरापिस्ट बना है और उसके घरवालों को यह नहीं पता होता है कि फिजियोथैरापिस्ट कौन होता है । एक बहुत ही साधारण सा मुसलमान परिवार है जो भारतीय समाज में डर डर कर हिन्दूू बहुल समाज में रह रहा है । जहाँ पर आम भारतीय धारणा मुसलमान को देखते ही कट्टर धार्मिक और आतंकवादी समझने की है । नायक एक पढ़ा लिखा और अच्छी सोच वाला ईमनदार सीधा-साधा किरदार है जो इस सोच को बदलने को पूरी तरह तत्पर है । उसे एक अस्थिरोग विशेषज्ञ से प्रेम हो जाता है जिसका वह इजहार करने में संकोच करता है । इसमे मुजफ्फर नगर में हुए दंगे और मुसलमानों से जुड़ी अन्य हुई घटनाओं की भी झलक आपको मिलेगी । मुसलमान भारतीय समाज में आर्थिक और सामाजिक रूप से क्यों पिछड़े हुए हैं

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