मेरी क्या दास्ताँ लिखी होगी
जीत लिखी होगी
या
शिकस्त लिखी होगी
होगी कहानी क़ामयाबी की
या
नाक़ामयाबोंकी
फ़ेहरिस्त लिखी होगी
ख़ुशियों की लहर होगी
शब ए ग़म की सहर होगी
होगी ग़म ए नज़्म या
सुकून ए गज़ल लिखी होगी
न जाने क्या लिखा होगा
न जाने किसकी लिखाई होगी
मैं सोचता हूँ
क्यों मेरी कहानी
कोई और लिखे
सोच मेरी, लफ़्ज़ मेरे,
सांस मेरी,अल्फ़ाज़ मेरे
तो मेरी शायरी क्यों
कोई और लिखे
मैं सोचता हूँ
कौन है जो
लिखता है ये सभी
कोई है भी या
कोई नहीं
कहीं ये मेरे ख़यालों का
पैग़ाम तो नहीं
कहीं ये मेरे इरादों का
अंज़ाम तो नहीं
मैं सोचता हूँ