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Chapter 1 :

ख्वाहिशें चाँद की- मेरे ख़्वाब औऱ हकीक़त की जुगलबंदी

ये किताब एक खूबसूरत लड़की के लिए समर्पित है और जब मेरी ये लेखनी उसे मिलेगी तो खुद-ब-खुद समझ आ जाएगी कि ये सिर्फ़ और सिर्फ़ उसके लिए है. लिखता तो मैं पहले से था, पर लिखने का ज़ज़्बात मुझे उससे मिला. जबसे उससे बात करना शुरू किया हूँ, लिखने की लालसा और आदतें ऐसी लगी है कि मैं शब्दों में बयां नहीं कर सकता। अपने हर कविता और शायरी में उसे खूबसूरती को डालना, कोरे कागज पे नीले रंग के स्याही से रंग भरना औऱ तेरे बारें में दिन रात सोचना और शायरी से कविता और कविता से पूरी किताब लिखने की नाकाम कोशिशों के बीच ये छोटी प्रयाश के बीच उससे प्यार कर बैठना, महज़ इतेफाक नहीं हो सकता। हर दिन कुछ ना कुछ लिखना और अपने शब्दों को कवितायें और शायरी उसके लिये लिखना, पर सब के सब उसके पास नही पहुँचाना, और ख़ुद बार बार पढ़के ये सोचना कि वही पढ़ रही हो और इस सोच के तुरंत बाद चेहरे पे जो अचानक हल्की सी मुस्कान बिखेरती उसकी चंचल सूरत, ये महज़ इतेफाक भर नहीं है! कभी ग़ुलाब के साथ जोड़के उसे देखना तो कभी चाँदनी रात के रोशनी में, निकले चाँद में उसे ढूँढना और महसूस करना, जो चाँदनी रात में अपने रोशनी से पूरे मुझे रोशन करती उसकी निगाहें तो कभी अपने सीरत से अपने आप में शामिल करने की नाक़ाम कोशिशें, ये भी महज़ इतेफाक नहीं है। उसकी बातें औऱ बस उसकी हीं बातें, इतनी अच्छी है कि उसके बातों से प्यार कर बैठा, उसके शब्दो और अल्फ़ाज़-आवाज़, इतने अच्छे कि, उन अच्छाई से मैं प्यार कर बैठा!! लिखना मेरा शौक था, पर अब मेरी आदत बन चुकी है क्यूंकि ये मेरा तुमसे इश्क़ है!!