नवभारत जब मिली है आजादी तो चलो जश्न मनाते हैं। अखंड भारत का स्वप्न लेकर भारतपर्व मनाते हैं। गांव गली हर शहर घुमकर चलो तिरंगा ध्वज लहराते हैं। आओ भारतवासी मिलकर एक नया भारत बनाते हैं। बड़ी महंगी मिली है आजादी अब इसे न खोने देना है। हर कीमत पर एकत्र होकर हमें इसे संजोना है। वीरों के बलिदान ने यह सौगात दिलाई है क्रांति में जब शीश कटे कहीं तब आजादी आई है। प्राण की अपनी आहुति दी लहु से अपने सींचा है। सन सत्तावन से सैंतालीस तक लड़ वीरों ने इसे जीता है। भारत का सच्चा पर्व यही है कण कण अब यही कह रही। आओ उन शहीदों अब को हर्षाते हैं एक नया भारत बनाते हैं। एक ऐसा भारत बनाते हैं जहां न हो गरीबी-लाचारी। डरी सहमी रहे न लक्ष्मी सुखी-समृद्ध हो हर एक नारी। हर जन को अब अन्न मिले किसान भी संपन्न रहे। आजाद-भगत के सपनों का चलो भारत देश बनाते हैं। मानवता की पंखुड़ियों से खूब इसे महकाते हैं। जात-धर्म का भेद भूलाकर प्यार की धार बहाते हैं। सुख आजादी का देकर सबको चलो विश्व गुरु बन जाते हैं।। मुकेश सिंह सिलापथार,असम संपर्क: 9706838045 Thanks and Regards Mukesh Singh Poet, Columnist 9706838045