नाम : प्रिया शिक्षा : बी.कॉम एम् कॉम , प्रेयणा: मेरे पिता और मेरे मित्र जीवन मेरे जीवन में आदर्श हैं वो मेरे सच्चे हीरो हैं और हमेशा के लिये मेरे सबसे अच्छे दोस्त हैं। किसी भी परेशानी में वो हमेशा मेरी मदद करते हैं। वो हमेशा मुझे आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करते है I लक्ष्य: लक्ष्य:लेखिका जीवन अपने आप में पूर्ण संगर्ष की साथ जीने का बहुत बड़ा प्रेणा का सोत्र रहा है। अपनी जिंदगी में इतने उत्तार- चढ़ाव का सामना किया है जिसका केवल १० प्रतिशत भी कोई नहीं कर पता। जिस उम्र में लोग घर से अकेले नहीं जाते उस उम्र में स्कालरशिप के दम पर अपनी पढ़ाई करी। शादी के बाद भी अपनी पूरी सुसराल का खर्चा खुद उठाया। विषम से विषम परिस्तितियों में जैसे कई दिन तक बिस्कुट में गुज़ारा करना , गर्भवती होने के बावजूद पूरा खाना न मिलने के बावजूद , पति की मार खाने के बावजूद ,सारी रात खून बहने के बावजूद ,नौकरी करना और अपने आदर्शो पर टिक्के रहना , अपने आप में साबित करता है की जीवन जीने की कितनी ललक है , सिर्फ एक आदत जो इनको अपने परिवार से मिली की झुकना नहीं है ,लोगो ने लाखो जतन किये , विषम से विषम परिस्तिया उत्पन्न करी , सब लोग इनसे दूर हो गए लेकिन फिर भी अपनी एक नई पहचान बनायीं केवल अपने विचार को बड़ा रखा इनका कहना है की अगर आप को लगता है की आपके पास कोई ऐसा हुनर है जो औरों से अलग है? अगर आपको लगता है "नहीं" तो आप बिल्कुल गलत हैं। क्योंकि हर इंसान को भगवान ने बनाया है और सबके पास कोई ना कोई ऐसा हुनर है जो औरों से अलग है।आप पूरी कोशिश करेंगे तो आप असफल होंगे ही नहीं। सपने हर कोई देखता है पर पूरा हर कोई नहीं कर पाता I जानते हैं क्यों? क्योंकि कुछ लोग बस देखते हैं, सोचते हैं और जरा सी विषम परिस्थितियां आ गयी तो उनके सपने उन्ही की तरह टूट जाते हैं। अगर आपको अपने सपनों को वाकई में पूरा करना है, तो आपको हर पल उसे ही सोचना होगा और उसे पाने के लिये हर प्रयास करना होगा। किसी ने कहा है कि "एक सकारात्मक सोच वाला व्यक्ति अदृश्य को देख लेता है, अमूर्त को महसूस करता है, और असंभव को पा लेता है।" डार्विन पी. किन्सले ने कहा है कि, "यह सोचने के बजाये कि आप क्या खो रहे हैं, ये सोचने का प्रयास करें कि आपके पास ऐसा क्या है, जो बाकी सभी लोग खो रहे हैं। क्योंकि एक बार जब आप नकारात्मक विचारों को सकारात्मक विचारों से बदल देंगे तो आपको सकारात्मक नतीजे मिलना शुरू हो जायेंगे।" जीवन सन्देश :- अगर मेरे जीवन से प्रेरणा पाकर किसी को भी मदद मिलती है तो में अपने आप को भाग्यशाली समझूँगी मदद के लिए या मोटिवेशन लेक्चर के लिए https://www.facebook.com/Priya-Saini-555935681438652/ पिता की दुलारी किसी पिता की दुलारी, किसी माँ की जान हूँ, कोई खिलौना नहीं , मैं भी एक इंसान हूँ !! किसी की बेटी बन कर आती हूँ, किसी की बहन कह लाती हूँ !! फिर एक दिन, अपना ही घर छोड़कर, किसी की पत्नी बन जाती हूँ !! और भी बहुत से रूप है मेरे, जिनसे मैं अनजान हूँ, कोई खिलौना नहीं, मैं भी एक इंसान हूँ !! रामायण का अपहरण, महाभारत वस्त्र हरण !! कोई जगह महफूज़ नहीं, जहाँ मैं ले सकूं शरण !! ऐसी घिनौनी सोच से मैं, युगों युगों से परेशान हूँ, कोई खिलौना नहीं , मैं भी एक इंसान हूँ जली मैं दहेज़ के कारण कहीं, मेरा रूप तेरे घर में भी है, तेरे घर की भी मैं शान हूँ, अब मान इस बात को तू, मैं तेरे जैसी इंसान हू, जली मैं दहेज़ के कारण कहीं, मेरा रूप तेरे घर में भी है, तेरे घर की भी मैं शान हूँ, अब मान इस बात को तू, मैं तेरे जैसी इंसान हूँ अपने यारों के दिल की बात अपने यारों के दिल की बात हम बिना कहे जान लेते थे , कौन पसंद है किसको यह थोड़े से झगड़े के बाद हम मान लेते थे , कैन्टीन और कैफे की पार्टियां तो रोज हुआ करती थी, खूबसूरत लम्हों को दोस्तों को कॉल कर ना जाने कितने नाम लिया करते थे वह लम्हे जो एक धुंधली याद बन गए, वह लम्हे जो एक यादगार किताब बन गए , कॉलेज जाने का मन नहीं फिर भी कॉलेज आया करते थे , कुछ लोगों को यह और बाकियों को टीचर बुलाया करते थे , एग्जाम देने की तो जैसे आदत सी हो गई थी , फिर रिजल्ट देख कर कुछ होते तो कुछ मुस्कुराया करते थे , अजीब खेल है जिसमें हम हंसे भी और वह भी अजीब है, यह लम्हे जिसमें कुछ पाया भी और कुछ खोया भी , इन लम्हों को एक याद बनाकर अपने साथ ले जाऊंगी , मोका अपने दिल में बसा कर दूर चली जाऊंगी जिंदगी का खेल..... यूं देखकर मुझे दुनिया हैरान क्यों है, मेरे हंसने पर भी पूछती है परेशान क्यों है , यह तो सब कुछ समेट कर रखती हूं, सीने में पर ना जाने आंखे इस कदर बेईमान क्यों है , कोशिश दिल से तो करती हूं पर आंखें दगा देती है , समझती हूं बहुत कुछ पर फिर भी सजा देती है , खामोश रहती हूं कि ना समझे, कोई हाल-ए-दिल पर यह धोखेबाज है , सबको बता देती है ना जाने क्यों खफा है, इस कदर कई बार भरी महफिल में रुला देती है, क्या समझाऊं कैसा खेल है जिंदगी का , जिसे चाहो उसे कहीं और मिला देती है , समझ जाओ अब तो समझ जा यू ना तोड़ मुझको यह जिंदगी है यह नां चाहे तो जीना भी सिखा देती मेरी परछाई है लोग कहते हैं मेरी परछाई है तू, कभी ख्वाब और कभी सच्चाई है तू , एक एहसास है मेरा जिंदगी का मेरी सच्चाई है तो लोग कहते हैं मेरी परछाई है तू रिश्ता है तेरा मेरा कैसा अजीब , दूर है दोनों फिर भी है करीब , लोग कहते हैं मेरी परछाई है तू, जिंदगी में मेरी तू आया जब, सपने सजाए थे, तेरी सूरत देखकर आंसू मेरी आए थे, खुशी इतनी थी कि बताना पाई थी, लोग कहते हैं मेरी परछाई है तू, जब पहली बार तूने मां कहकर बुलाया था, मेरे दिल में खुशियां से भर आई थी लोग कहते हैं मेरी परछाई है तू जब पहली बार गया तू करने पढ़ाई, तेरी मां खुशी सेना फूलो ना समाए, लोग कहते हैं मेरी परछाई है तू , दूर हूं तुझसे फिर भी तेरे करीब हूं, कैसे कहूँ दिल की बात यही है, मेरी सच्चाई लोग कहते हैं, मेरी परछाई है तू सोच रही थी मैं चुप क्यों हूं मैं, सोच रही थी मैं चुप क्यों हूं मैं, चल रही है क्या खुराफात मेरे दिमाग में, आज याद आ गई बचपन की यादें और बचपन की शैतानी फिर याद आ गई वह नादान बातें ,वह दोस्तों से लड़ाई करना, फिर मम्मी की डांट फिर याद आ गई , कुछ राज है ऐसे जो दर्द भी देते हैं, और खुशी भी यहां है बचपन सोच रही थी, वह छोटी बातों पर रूठना मनाना , दोस्तों का फिर कट्टी कट्टी कर भाग जाना , फिर उन पागलों का आ मेरे पास मुझे मनाना , और फिर मान जाना फिर याद आ गए वह पल हंसते थे आज कहां गए , वह बचपन वह बचपन की बातें , वह मासूमियत कहां गई वह दोस्त कहां गए, सब साले बड़े हो गए ,काश वह बचपन लौट आता , काश वह ख्वाब को को फिर जी पाती अब टूट गई है जिंदगी इस इस भाग दौड़ में , लोग भी तभी याद करते हैं जब अपना काम हो , यही दस्तूर है जिंदगी का , क्या फिर वही वादे प्यार के फिर याद आए, फिर वही लम्हे मुझे याद आए,, सोच रही थी मैं चुप क्यों हूं , मैं चल रही है क्या खुराफात मेरे दिमाग में, बदलेगी यह दुनिया बदलेगी यह दुनिया , सोच को बदल कर देखो , यह लक्ष्य होंगे पूरे , मेंहनत तो करके देखो , गरीबी में जिओ मगर, ख्वाब अमीरों का देखो, सारे ख्वाब होंगे पूरे , पहले सपना तो देखो, जिंदगी सुधर जाएगी , इंसान तो बनकर देखो , जीना मरना तो सब का है , जरा महान बनकर देखो , झूठ तो बहुत बोले होंगे , कभी सच तो बोल कर देखो, सफल जरूर हो गए एक दिन एक कदम तो बढ़ा कर देखो उड़ान उड़ने के तरीके सोचने लगी हु , आगे बढ़ने का सपना देखने लगी हु , हर मोड़ पर मुश्किल आती है हजार , फिर भी अनेक बंधन को तोड़ने लगी हु उड़ने के तरीके सोचने लगी हु , कोशिश करती हु गिर जाती हु , फीर लडख़ड़ा के आगे बढ़ जाती हु , दर्द का एहसास होता तो है , पर आगे बढ़ने की खोइश से फिर उठ जाती हु उड़ने के तरीके सोचने लगी हु , उमीदे टूटी है हजार पर, सपने तो नहीं , गिर क संभालना तो अब ऐसे ही सीखी हु , उड़ने के तरीके सोचने लगी हु ,.. ठिकाना ठिकाना मिले ना मिले मजिं ल पाऊं या ना पाऊं कामयाबी पाऊं या ना पाऊं सपने देखना मैं नहीं छोडूंगी कठिनाइयों का चाहे हो सामना कांटे भरे रास्तों पर चा हे हो चलना कल्पना ही है मेरी प्रेरणा सपने देखना नहीं छोडूंगी दूरी भले ही कितना भी हो तय करना पैरवी का भले न मिले सहारा अपनी कबिलता से रास्ता बनाऊँगी सपने देखना नहींछोडूंगी घबराऊं न मैं असफल होने पर हताश न होऊं विपरीत परिणाम न आने पर सकारात्मक सोच के सहारे खद को आनंदित करती रहूगी लेकिन सपने देखना मैं नहीं छोडूंगी मौकों का चाहे हो अकाल या हो चुनौतियों का अम्बार जीवन पथ पर आगे बढ़ता बढ़ना कर्म है मेरा सपने देखना हक है मेरा राही हूं मैं घने वन की काली रात है मेरे आगे बढ़ने का सदन चांद, तारे, और अंतर्मन का रास्ता मैं मेरे साथ है बुलंदियों को पा दिखाऊ मैं सपने देखना मैं नहीं छोडूंगी एक नया रास्ता एक लड़की जब तक लड़की थी जिवन मे उसकी मस्ती थी सब की लड़ दुलारी थी पापा की वो जान थी जैसे की किसी से साथ जुड़ा वसे ही एक औरत बनी हस्ती ही सब के संग रोया भी करती थी जैसे ही एक माँ बनी एक माँ का अहसास होने लगा परिवार को वो पिता की ताराह संभले लगी जिम्मेदारियों के बोझ में खोने लगी रोज़ सब्की एक उम्मीद थी कबी वो माँ बनकर सब संभल लेती थी कभी भाभी की तरह कभी दोस्त की तरह नन्दो की साथ रह्ती थी सब्की ख्वाशी पुरी करती जब तक राही अपने स्वाभिमान को दाबा कर तब तक ही चहीती बनी, जैसे ही कड़ी हुई सोभिमान के लिए , सब की ही दुश्मन बनी टूट गई वो पागल थी , हस्ते हुई आगे बड़ी दोस्ती दोस्ती किस तरह निभाते हैं, मेरे दुश्मन मुझे सिखाते हैं। नापना चाहते हैं दरिया को, वो जो बरसात में नहाते हैं। ख़ुद से नज़रें मिला नही पाते, वो मुझे जब भी आजमाते हैं। ज़िन्दगी क्या डराएगी उनको, मौत का जश्न जो मनाते हैं। ख़्वाब भूले हैं रास्ता दिन में, रात जाने कहाँ बिताते हैं। प्यार को मत समझो पूरा उसका पहला अक्षर ही है अधूरा अगर करना है सच्चा प्यार तो बन पहले एक दूसरे का यार। दोस्ती हर बन्धन से मजबूत होती है दोस्ती मन का सम्बन्ध होती है जिसमें स्वेच्छा से त्याग की भावना होती है। दुनिया में हर रिश्ते-नाते समय के साथ बदलते हैं मगर सच्ची दोस्ती उम्र भर चलती है। सच्ची दोस्ती में हर एक रिश्ता मिल जाता है मगर हर रिश्ते में दोस्ती नहीं मिलती। दोस्ती दो के बीच समता और एकता जो सुख दुख में भी निभाया जाता। सच्ची दोस्ती में न दूरी न नजदीकी है जरूरी हर हाल में पक्की बनी रहती है जो करते हैं वे समझें मेरी बात न मोहब्बत, न इजहार पहले दोस्ती करो फिर प्यार। जिन्दगी के रग*